
जबलपुर में सामने आए बहुचर्चित पासपोर्ट फर्जीवाड़ा कांड में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब जांच एजेंसियां सिर्फ आरोपी अफगानी नागरिक सोहबत खान तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उसकी ‘सोहबत’ (संगत) में रहने वालों की गहन पड़ताल शुरू हो चुकी है। इन लोगों में स्थानीय मददगार, फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले नेटवर्क, और यहां तक कि कुछ सरकारी कर्मचारी भी शक के दायरे में हैं।
कोलकाता से गिरफ्तार हुआ एक और अफगानी, पासपोर्ट में जबलपुर का फर्जी पता इस्तेमाल
एटीएस (ATS) ने इस मामले में 53 वर्षीय अकबर नामक अफगानी नागरिक को कोलकाता से गिरफ्तार किया है। उसने पासपोर्ट बनवाने के लिए जबलपुर का फर्जी पता इस्तेमाल किया था। अकबर करीब 20 साल पहले भारत आया था और वर्तमान में पश्चिम बंगाल में रह रहा था। पूछताछ में सामने आया कि वह एक दिन के लिए जबलपुर आया, फर्जी पते से दस्तावेज़ बनवाए और वापस चला गया।
पासपोर्ट से आधार और ड्राइविंग लाइसेंस तक – मददगार कौन?
जांच का दूसरा बड़ा पहलू यह है कि फर्जी एड्रेस प्रूफ, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ों को बनाने में सरकारी सहयोग कैसे मिला। ATS सूत्रों के अनुसार, इतने व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा बिना अंदरूनी मिलीभगत के संभव नहीं। इसमें मकान मालिक, एजेंट, दस्तावेज़ वेरिफिकेशन करने वाले कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।
अब एटीएस उसकी सोहबत में शामिल हर व्यक्ति, संस्था और एजेंट की सूची तैयार कर रही है जो उसके साथ सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े थे।
कैसे फूटा फर्जीवाड़े का गुब्बारा?
तीन दिन पहले ATS ने छोटी ओमती क्षेत्र से सोहबत खान को गिरफ्तार किया था। स्थानीय अख़बारों के मुताबिक पूछताछ में उसने कबूला कि वह अपने साथियों के लिए जबलपुर के पते पर पासपोर्ट बनवाता रहा है। रविवार को इसी सिलसिले में ATS ने अकबर को कोलकाता से गिरफ्तार कर केंद्रीय जेल जबलपुर भेजा।
अब तक गिरफ्तार हुए आरोपी:
- सोहबत खान – निवासी छोटी ओमती
- अकबर – मूल निवासी अफगानिस्तान, वर्तमान में कोलकाता
- दिनेश गर्ग – विजय नगर
- महेंद्र कुमार सुखदन – कटंगा
- चंदन सिंह – रामपुर
इनमें से दो आरोपी पहले ही न्यायिक हिरासत में भेजे जा चुके हैं। बाकी आरोपियों को भी जल्द कोर्ट में पेश किया जाएगा।