
रिपोर्ट, अरशद कादरी, जबलपुर। पैगम्बर-ए-इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की योमें विलादत यानी जश्ने ईद-मिलादुन्नबी शुक्रवार को जबलपुर शहर और उसके उपनगरीय क्षेत्रों में अकीदत, मोहब्बत और पूरे जोश-ओ-ख़ुर्रम के साथ मनाई गई। मस्जिदों, मदरसों और बस्तियों से निकलने वाले जुलूस-ए-मुहम्मदी में हज़ारों की तादाद में अकीदतमंद शरीक हुए और अपने प्यारे नबी सल्ल. से मोहब्बत का इज़हार किया।

सुलेमानी मस्जिद से निकला कदीमी जुलूस
शहर का कदीमी और ऐतिहासिक जुलूस-ए-मुहम्मदी दोपहर 3 बजे सुलेमानी मस्जिद, मोतीनाला से निकाला गया। यह जुलूस मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के प्रमुख रास्तों से होकर गुज़रा और वापिस मस्जिद पहुँचकर समापन हुआ। मस्जिद में सीरत-ए-नबी (सल्ल.) पर जलसा हुआ, जिसमें सलातो-सलाम पेश किया गया और अमन-ओ-खुशहाली की दुआ मांगी गई।

मुफ्ती-ए-आज़म ने किया नेतृत्व
मुफ्ती-ए-आज़म मध्य प्रदेश हज़रत मौलाना डॉ. मुशाहिद रज़ा क़ादरी बुरहानी और मौलाना इनामुल हक़ क़ादरी ने नया मोहल्ला हुसैन चौक से निकलने वाले जुलूस-ए-मुहम्मदी की क़ियादत की। दोपहर 2:30 बजे शुरू हुआ यह जुलूस परंपरागत मार्गों से होकर अंजुमन पहुँचा। जुलूस में वरिष्ठ राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक हस्तियाँ भी शामिल हुईं जिनका स्वागत कमेटी द्वारा किया गया।
जुलूस में नौजवान नारे लगाकर अपनी अकीदत का इज़हार कर रहे थे, वहीं बच्चों और महिलाओं की बड़ी संख्या शामिल रही। ई-रिक्शों पर सवार मासूम बच्चे इस्लामी लिबास और हाथों में हरे परचम लहराकर माहौल को रौनकदार बना रहे थे।
अंजुमन स्कूल में उमड़ा जनसैलाब
अंजुमन स्कूल परिसर में दोपहर से ही जायरीन का आना-जाना शुरू हो गया था। जैसे ही मुख्य जुलूस पहुँचा, पूरा मैदान जनसैलाब में तब्दील हो गया। शाम 5 बजे जब मुख्य जुलूस पहुँचा तो अंजुमन स्कूल पदाधिकारियों ने मुफ़्ती-ए-आज़म और जुलूस का इस्तक़बाल किया। हालांकि, इस दौरान जायरीनों को पानी और कीचड़ के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

मुफ्ती-ए-आज़म का पैग़ाम
अपने बयान में मुफ़्ती-ए-आज़म ने सबसे पहले तमाम अकीदतमंदों को ईद-मिलादुन्नबी की मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा:
“हमें अल्लाह और उसके रसूल की सच्ची फ़रमाबरदारी करनी चाहिए। नमाज़, रोज़ा और कुरान का पाबंद बनना होगा। अगर हम रोज़ आधा घंटा निकालकर हज़ार बार दरूद शरीफ़ पढ़ें तो हमारी ज़िन्दगी में बरकत आएगी, मुसीबतें दूर होंगी और कामयाबी हासिल होगी।”
बयान के बाद मुल्क की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ की गई।
लंगर और सामाजिक सेवा
नमाज़-ए-मगरिब के बाद बज़्म-ए-गुलशन-ए-मदीना की तरफ़ से नया हुसैन चौक पर लंगर का इंतज़ाम किया गया, जिसमें हज़ारों लोग शरीक हुए।
उपनगरीय क्षेत्रों में भी जुलूस
- सदर छावनी क्षेत्र:
दोपहर 2 बजे सदर में अकबर खान सरवर, हाफ़िज़ मक़सूद, अशफ़ाक़ कुरैशी समेत अन्य जिम्मेदारों की क़ियादत में जुलूस निकला। यह सदर बाज़ार की गलियों से होकर जामा मस्जिद, सदर बाज़ार गली नंबर 10 पहुँचा और सलातो-सलाम के बाद समापन हुआ। - गढ़ा क्षेत्र:
मुजावर मोहल्ला, काज़ी मोहल्ला, बेदरा मोहल्ला और तकिया मोहल्ला के सयुंक्त तत्वावधान में जुलूस-ए-मुहम्मदी निकाला गया। इसकी क़ियादत अल्हाज सैय्यद इक़बाल अहमद शम्स रब्बानी, मौलाना फ़ज़ले रब अशरफ़ी, सूफ़ी मुबारक क़ादरी समेत कई जिम्मेदारों ने की। रास्ते में गणेश उत्सव समिति द्वारा पानी की व्यवस्था की गई और मेहमानों का स्वागत किया गया।
जबलपुर में ईद-मिलादुन्नबी का त्योहार मोहब्बत, भाईचारे और अकीदत के साथ मनाया गया। जुलूस-ए-मुहम्मदी ने शहर की गलियों को रौशन किया और हर जगह से “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर” की सदाएं गूँजती रहीं। यह जश्न न केवल धार्मिक जोश का प्रतीक था बल्कि आपसी एकता और अमन का पैगाम भी देता रहा।