
जबलपुर। त्योहारों का मौसम शुरू होते ही प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री और देर रात तक इनके इस्तेमाल पर सवाल उठने लगे हैं। नागरिक उपभोक्ता मंच ने इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सख़्त कार्रवाई की मांग की है। मंच का कहना है कि यदि समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो इंदौर और जबलपुर जैसे शहर, जिन्हें स्वच्छ हवा के लिए पुरस्कार मिल चुका है, उनकी वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
मंच ने उठाई चिंता
उपभोक्ता मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पी.जी. नाजपांडे और रजत भार्गव ने जबलपुर, इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर और धार के कलेक्टरों सहित प्रदेश के मुख्य सचिव को शिकायत भेजी है। इसमें प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री रोकने और विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग रखी गई है।
जांच और अंडरटेकिंग में लापरवाही
शिकायत में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अब तक पटाखों की सही ढंग से जांच नहीं की गई और न ही विक्रेताओं से अंडरटेकिंग ली गई। प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम भी नहीं उठाए गए।
एनजीटी ने लगाई फटकार
एडवोकेट प्रभात यादव ने जानकारी दी कि इस मामले से जुड़ी याचिका पर 1 अगस्त को सुनवाई हुई थी। उस दौरान एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने राज्य सरकार से विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
वायु गुणवत्ता पर मंडरा रहा खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री और उपयोग पर रोक नहीं लगी तो दिवाली और दशहरा के दौरान वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुँच सकता है। इसका असर खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों पर पड़ सकता है।