
जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) में कर्मचारियों की हड़ताल को 22 दिन बीत चुके हैं। हालात यह हैं कि विश्वविद्यालय का अधिकांश प्रशासनिक और शैक्षणिक कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ा है। हज़ारों विद्यार्थी अपनी पढ़ाई और भविष्य को लेकर असमंजस में हैं, लेकिन फिलहाल कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा।
प्रवेश और स्कॉलरशिप पर संकट
आज प्रवेश की अंतिम तिथि है, लेकिन सैकड़ों छात्र अपने फॉर्म पूरे कराने के लिए विभाग-दर-विभाग भटकते नज़र आए। ओबीसी और अन्य स्कॉलरशिप की अंतिम तिथि निकल चुकी है, मगर हड़ताल के चलते फॉर्म नहीं भरे जा सके। इसी तरह परीक्षा, एटीकेटी, डिग्री, माइग्रेशन और मूल्यांकन जैसे अहम कार्य भी पूरी तरह अटके हुए हैं।
कर्मचारियों का रुख सख्त
संघ अध्यक्ष को छोड़कर अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी हड़ताल से लौटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि पिछले एक साल से उनकी मांगों पर सिर्फ चर्चा हो रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि “जिन कामों का निपटारा स्थानीय स्तर पर आसानी से हो सकता था, अब उनके लिए भी भोपाल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।”
पेंशन और पदोन्नति बना विवाद का मूल कारण
हड़ताल का मुख्य मुद्दा पेंशन प्रकरण और 70 पदोन्नति के पदों का निरस्त किया जाना है। हाल ही में कुलसचिव भोपाल पहुंचे थे और कई दौर की बैठकों में शामिल हुए, लेकिन अधिकारियों ने मामला उच्च शिक्षा मंत्री पर छोड़ दिया। उधर, उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि राजभवन के निर्देश पर ही 70 पद निरस्त किए गए थे, जिस पर विधानसभा में भी जानकारी दी जा चुकी है।
छात्रों का बढ़ता आक्रोश
लगातार 22 दिनों से विभागों में ताले लटके होने के कारण छात्रों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूर-दराज से आने वाले विद्यार्थी अपनी डिग्री और मार्कशीट तक हासिल नहीं कर पा रहे। परीक्षा और मूल्यांकन कार्यों पर भी सीधा असर पड़ा है, जिससे सत्र में देरी तय मानी जा रही है।
समाधान की राह बंद
फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन और कर्मचारी संघ के बीच कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है। ऐसे में छात्रों का भविष्य अधर में लटका है और कर्मचारियों की जिद भी बरकरार है। हड़ताल लंबी खिंचने से यह मुद्दा अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।