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जबलपुर: बीटेक छात्र उत्कर्ष की दर्दनाक मौत: सपनों का बोझ बना जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन !

जबलपुर BAZ News Network। जौनपुर से जबलपुर पढ़ाई के लिए आया 19 वर्षीय बीटेक छात्र उत्कर्ष तिवारी अब इस दुनिया में नहीं रहा। दोपहर साढ़े 12 बजे ट्रिपल आईटीडीएम के छात्रावास की चौथी मंजिल से गिरकर उसकी मौत हो गई। यह घटना सिर्फ एक छात्र की असमय मौत नहीं है, बल्कि उस शिक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करती है, जो सपनों को बोझ बना देती है।

एक अधूरी उड़ान
उत्कर्ष तिवारी, पिता चंद्रकुमार का इकलौता बेटा था। हाल ही में उसने इंजीनियर बनने का सपना लेकर ट्रिपल आईटीडीएम में दाखिला लिया था। दोस्तों का कहना है कि वह पढ़ाई को लेकर गंभीर था, लेकिन शिक्षा ऋण (एजुकेशन लोन) और उससे जुड़ी चिंताओं से परेशान रहता था। एक ऐसे दौर में, जब छात्रों को सपनों को पंख दिए जाने चाहिए, वे लोन और भविष्य की अनिश्चितताओं के जाल में उलझकर टूट जाते हैं।

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व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह
उत्कर्ष की मौत यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी शिक्षा प्रणाली युवाओं को अवसर दे रही है या सिर्फ दबाव? क्या एजुकेशन लोन, फीस और प्रतिस्पर्धा का दबाव छात्रों की मानसिक मजबूती से ज्यादा भारी पड़ रहा है? उत्कर्ष का जाना सिर्फ उसके परिवार का दुख नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतना के लिए एक संदेश है – सपनों को बोझ मत बनने दो।

पुलिस जांच में जुटी
डुमना चौकी प्रभारी नितिन पांडे ने बताया कि घटना की जांच जारी है। अभी यह स्पष्ट नहीं कि यह हादसा था या आत्महत्या। मगर दृष्टया यह सामने आया है कि छात्र आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव से गुजर रहा था।

घर पर मातम और सवाल
जौनपुर स्थित उत्कर्ष के घर पर मातम पसरा हुआ है। पिता की आंखों में आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे और मां बार-बार बेहोश हो रही हैं। पड़ोसी और रिश्तेदार यही कहते हैं कि उत्कर्ष बेहद होनहार था और परिवार का सहारा बनने का सपना लेकर गया था। लेकिन अब वह वापस आया तो सिर्फ शव बनकर।

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मानसिक स्वास्थ्य और समर्थन की जरूरत
इस घटना ने फिर से यह मुद्दा सामने रखा है कि संस्थानों में छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? काउंसलिंग और सपोर्ट सिस्टम क्यों कमजोर है? जब तक शिक्षा व्यवस्था छात्रों को दबाव से राहत नहीं दिलाएगी, तब तक ऐसे हादसे बार-बार परिवारों को तोड़ते रहेंगे।

उत्कर्ष की मौत सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि उस सवाल की गूंज है – क्या हमारी व्यवस्था युवाओं को उनके सपनों के साथ जीने देती है, या फिर उन्हें बोझ तले दबा देती है?

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बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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