
जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बार फिर ‘खून का काला कारोबार’ उजागर हुआ है। शनिवार को अस्पताल परिसर में दो युवकों को उस वक्त सुरक्षा एजेंसी ने धर दबोचा, जब वे एक यूनिट खून के बदले ₹5,000 में सौदा कर रहे थे।पकड़े गए आरोपियों के नाम अन्नू और जॉनसन बताए गए हैं।
🕵️♂️ कैसे हुआ खुलासा
सूत्रों के अनुसार, एक ब्लड डोनेशन संस्था जरूरतमंद मरीज के लिए रक्त की व्यवस्था करने मेडिकल कॉलेज पहुँची थी।
इसी दौरान दो युवक उनसे मिले और कहा कि वे “5 हज़ार में तुरंत ब्लड का इंतज़ाम करा देंगे, लेकिन यह प्राइवेट व्यवस्था होगी।”
संस्था के सदस्यों को मामला संदिग्ध लगा। उन्होंने तुरंत अस्पताल की सुरक्षा एजेंसी को सूचना दी।
एजेंसी ने योजना बनाकर दोनों को उस वक्त पकड़ लिया जब वे नकद राशि लेते हुए सौदा फाइनल कर रहे थे।
सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत गढ़ा थाना पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर दोनों को हिरासत में लिया और थाने ले गई।
🚨 मरीजों की मजबूरी पर खून का धंधा
प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि ये आरोपी कुछ समय से अस्पताल परिसर में सक्रिय थे।
वे ज़रूरतमंद मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर अवैध रूप से रक्त बेचते थे।
पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस पूरे नेटवर्क में ब्लड बैंक के कर्मचारियों या किसी अन्य स्टाफ की संलिप्तता भी है।
🏥 अस्पताल प्रशासन ने दी सख्त चेतावनी
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने घटना की पुष्टि की है और कहा है कि परिसर में किसी भी तरह की अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अस्पताल प्रबंधन ने ब्लड बैंक क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने और संदिग्ध व्यक्तियों पर विशेष नजर रखने के निर्देश दिए हैं।
“मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा,”
– अस्पताल प्रबंधन का आधिकारिक बयान।
📜 पहले भी पकड़े जा चुके हैं दलाल
यह कोई पहली घटना नहीं है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इससे पहले भी कई बार खून की अवैध बिक्री के मामले सामने आ चुके हैं।
दलाल 3 से 10 हज़ार रुपये तक में एक यूनिट ब्लड का सौदा करते थे और मरीजों से खुलेआम वसूली करते थे।
इस बार भी ब्लड बैंक कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
लगातार सामने आ रहे ऐसे मामले न केवल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर बल्कि उसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर रहे हैं।
👮♂️ पुलिस ने दर्ज किया मामला, नेटवर्क की जाँच जारी
गढ़ा थाना पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और अब यह पता लगाने में जुटी है कि उनके पीछे कौन है।
क्या ये सिर्फ दो लोग थे, या कोई बड़ा नेटवर्क है जो मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है?
सुरक्षा एजेंसी और पुलिस की संयुक्त टीम अब CCTV फुटेज और मोबाइल रिकॉर्ड के आधार पर पूरे रैकेट की तह तक पहुँचने की कोशिश कर रही है।



