रांझी में दिल दहला देने वाला हादसा। हाईटेंशन लाइन का कहर। छत पर चहलकदमी कर रहा युवक जिंदा जल गया!

जबलपुर। रांझी थाना क्षेत्र के गोकलपुर में सोमवार देर रात एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। एक 28 वर्षीय युवक की मौत हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से हो गई, और उसकी हालत इतनी भयावह थी कि पहचान तक करना मुश्किल था। जो भी उस दृश्य के सामने पहुंचा, उसकी सांसें थम गईं और आँखें भर आईं।
देर रात की खामोशी में अचानक उठी चीख जैसी आवाज ने कारखाने के कर्मचारियों को चौका दिया। वे भागकर जब छत पर पहुंचे तो सामने जो दृश्य था, उसे देखकर कोई भी पत्थरदिल इंसान भी सिहर उठता। संजय कुमार—एक मेहनतकश युवक, जो रोज की तरह काम पूरा करके छत पर कुछ देर टहलने गया था—कुछ ही पलों में राख का ढेर बन चुका था।
संजय के परिवारवालों को जब खबर मिली तो उनका कलेजा मुंह को आ गया। मां और बहनों के रोने की आवाज पूरे मोहल्ले में गूंज उठी। पिता सदमे में बैठे रहे—ना आंसू निकल पा रहे थे, ना शब्द। परिजन बार-बार बस एक ही सवाल पूछते रहे—“हमारा संजय हमें ऐसे छोड़कर कैसे चला गया?”
एक चूक जिसने ले ली जिंदगी
गोकलपुर निवासी शिवप्रसाद पटेल के लोअर बनाने वाले कारखाने में संजय कजरवारा से आकर काम करता था। रोज की तरह वह देर रात काम खत्म करके छत पर चला गया। पर उसे क्या पता था कि छत से बस कुछ ही फीट दूर जिंदगी और मौत के बीच खड़ी हाईटेंशन लाइन उसका इंतजार कर रही है।
जैसे ही वह लाइन के थोड़ा भी पास आया, एक तेज झटके ने उसे अपने आगोश में ले लिया। इतना जोरदार कि चीखने तक का मौका नहीं मिला। कुछ ही सेकंड में उसका पूरा शरीर काला पड़कर पहचान से परे हो गया।
साथी कर्मचारियों ने जब देखा, तो कई वहीं फूट-फूटकर रो पड़े। किसी के पांव लड़खड़ा गए, किसी के हाथ कांपने लगे।
पुलिस कार्रवाई और दर्द से भरा सन्नाटा
सूचना मिलते ही रांझी पुलिस मौके पर पहुंची। पंचनामा करने के दौरान भी कई पुलिसकर्मी उस दर्दनाक दृश्य से विचलित दिखे। पोस्टमार्टम के बाद मंगलवार सुबह शव परिजनों को सौंपा गया। शव देखते ही परिवार की चीखें दूर तक सुनाई दीं। मोहल्ले के लोग भी रो पड़े—कई तो संजय के उम्र के नौजवान थे, जिनके हाथ कांपते रहे कि कल को यह हादसा किसी और के साथ भी हो सकता है।
पुलिस अब जांच कर रही है कि आखिर इतना खतरनाक करंट ले जाने वाली हाईटेंशन लाइन छत के इतना करीब क्यों थी। सवाल यह भी है कि आखिर सुरक्षा इंतज़ाम क्यों नहीं थे? किसकी लापरवाही ने एक पूरी जिंदगी खत्म कर दी?
लापरवाही का ढेर, मौत का खतरा हर छत पर
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई जगह घरों और कारखानों की छतों के बेहद करीब से हाईटेंशन लाइन गुजरती है। वर्षों से लोग बिजली विभाग से इसे शिफ्ट करने या कवर लगाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन फाइलें शायद कहीं धूल खा रही हैं।
संजय की मौत ने सबको झकझोरकर रख दिया है। मोहल्ले के बुजुर्गों का कहना है—“आज संजय गया है, कल पता नहीं कौन होगा… जब तक विभाग जागेगा, तब तक कितनी जानें चली जाएँगी?”
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, पूरे इलाके के लिए चेतावनी है। संजय की अचानक और दर्दनाक मौत ने सवाल खड़ा कर दिया है—क्या हमारी जिंदगी इतनी सस्ती है कि एक हाईटेंशन लाइन के नीचे जीने को मजबूर कर दिया जाए?
इलाके में अब शोक ही नहीं, गुस्सा भी है। लोग एक स्वर में मांग कर रहे हैं कि ऐसी लापरवाही पर तुरंत कार्रवाई हो, वरना संजय की मौत का शोक आगे और जानें न ले ले।



