
बाज़ मीडिया, जबलपुर। छिंदवाड़ा जिले के परासिया क्षेत्र से एक दिल को छू लेने वाली लेकिन दर्दनाक कहानी सामने आई है। जहरीले कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ के दुष्प्रभाव का शिकार हुआ पांच वर्षीय मासूम कुनाल आखिरकार मौत को मात देकर तीन माह बाद अपने घर लौट आया है। कुनाल के घर लौटने से परिवार में खुशियों की लौ तो जली है, लेकिन इस जहरीले सिरप ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली है। परिजन इस सच्चाई के साथ जीने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका बच्चा जिंदा है, यही उनके लिए सबसे बड़ी राहत है।

26 मासूमों की जान लेने वाला सिरप, कुनाल भी था शिकार
बताया जा रहा है कि इस जहरीले कफ सिरप के कारण अब तक 26 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। उन्हीं पीड़ितों में कुनाल भी शामिल था। करीब तीन माह तक चले इलाज और संघर्ष के बाद वह तो बच गया, लेकिन इस जहर ने उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। जाटाछापर निवासी कुनाल, उम्र पांच वर्ष, विजडम स्कूल का छात्र है। 24 अगस्त को उसे सामान्य बुखार हुआ था, जिसके बाद परिजन उसे स्थानीय डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास लेकर गए थे।
दवा बनी जहर, किडनियों ने किया काम करना बंद
डॉक्टर द्वारा दी गई दवा और कफ सिरप का सेवन करने के बाद कुनाल की हालत सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ती चली गई। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि सिरप के जहरीले साइड इफेक्ट के कारण उसकी दोनों किडनियां काम करना बंद कर चुकी हैं। मासूम की हालत नाजुक होती चली गई और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
नागपुर में चला लंबा और दर्दनाक इलाज
स्थिति गंभीर होने पर 30 अगस्त को कुनाल को नागपुर रेफर किया गया। पिता टिक्कू यदुवंशी 31 अगस्त को उसे लेकर नागपुर पहुंचे। वहां एम्स सहित विभिन्न बड़े अस्पतालों में उसका इलाज चला। इलाज के दौरान कुनाल को करीब डेढ़ महीने तक रोजाना डायलिसिस करानी पड़ी। यह समय न सिर्फ बच्चे के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए बेहद दर्दनाक और मानसिक रूप से तोड़ देने वाला था।
डॉक्टरों की उम्मीदें भी थीं बेहद कम
डॉक्टरों का कहना था कि जिस तरह जहरीले सिरप ने किडनियों को नुकसान पहुंचाया था, उस हालत में बच्चे के बचने की संभावना बेहद कम थी। बावजूद इसके विशेषज्ञ डॉक्टरों की कड़ी निगरानी, आधुनिक इलाज और परिवार की दुआओं ने चमत्कार कर दिखाया। 115 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार बीती रात कुनाल को अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
आंखों की रोशनी गई, चलने में भी परेशानी
कुनाल भले ही घर लौट आया हो, लेकिन बीमारी के साइड इफेक्ट्स ने उसे शारीरिक रूप से लाचार बना दिया है। जहरीले प्रभाव के कारण उसकी आंखों का पानी सूख गया है, जिससे फिलहाल उसे दिखाई नहीं दे रहा है। इसके साथ ही चलने-फिरने में भी उसे काफी दिक्कत हो रही है। माता-पिता की आंखों में जहां बेटे के बच जाने की खुशी है, वहीं उसके भविष्य को लेकर गहरी चिंता भी झलक रही है।
परिवार को है उम्मीद, फिर से मुस्कुराएगा कुनाल
डॉक्टरों और परिजनों को उम्मीद है कि जिस तरह कुनाल ने मौत जैसी बड़ी जंग जीत ली है, उसी तरह वह धीरे-धीरे शारीरिक रूप से भी मजबूत होगा। परिवार का कहना है कि बेटे की जिंदगी बचना ही उनके लिए सबसे बड़ी जीत है। अब उनकी एक ही दुआ है कि इलाज और समय के साथ कुनाल फिर से सामान्य जिंदगी की ओर लौट सके।



