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सीवान में मैडम हिना शहाब ने अकेले लालू, नितीश को बैकफुट पर धकेला

लोकसभा चुनाव 2024: आज एक मुस्लिम महिला अपने शोहर और आवाम की इज्जत और वकार के लिये मैदान में है। उनकी हिम्मत, मेहनत और काबलियत का ही नतीजा है कि उन्होंने अकेले लालू, नितीश, शाह और राहुल जैसे महारथियों को सीवान में बैकफुट पर धकेल दिया है। लालू की पार्टी राजद के लिये आसान कही जा रहे सीवान सीट को बिहार की सबसे मुश्किल सीट बना दिया है।

बिहार की राजनीति को बदलने और लालू की पार्टी को खड़ा करने में रीढ़ की हड्डी का काम करने वाले मोहम्मद शहाबहुद्दीन अब सीवान वासियों के बीच नहीं है। कोरोना काल में तिहाड़ जेल में उनकी मौत हो गई थी। अब जब साहेब कहे जाने वाले शहाबुद्दीन दुनिया में नहीं है। तब भी आज सीवान में हर तरफ शहाबुद्दीन जिंदा हैं के नारे लग रहे हैं।

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लोकसभा चुनाव 2024  में बिहार की सीवान लोकसभा सीट हाटसीट बन गई है। यहां मोहम्मद शहाबहुद्दीन की पत्नी हिना शहाब मैदान में है। निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं मैडम हिना शहाब ने अकेले दम पर राजद, नीतिश की जदयू और भाजपा को बैकफुट पर ला दिया है। बेहतरीन वक्ता और काबिल सियासतदान मानी जानी वालीं मैडम हिना शहाब आज पूरे बिहार में महिलाओं के लिये रोल माडल बनी हुई हैं।

त्रिकोणीय हुआ मुकाबला…

गौरतलब है कि सीवान एक दौर में पूर्व सांसद मरहूम मोहम्मद शहाबुद्दीन का गढ़ था। 2021 में कोरोना की वजह से उनकी मौत के बाद इस चुनाव में सीवान की पूरी फिजा बदली हुई हैं. यहां से उनकी पत्नी हीना शहाब निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं।  उनके सामने जदयू ने एक अन्य बाहुबली की पत्नी और मौजूदा सांसद का टिकट काटकर अपने एक पूर्व विधायक की पत्नी को टिकट दिया है। दूसरी तरफ, राजद ने यहां से पूर्व विधानसभा स्पीकर और सीवान सदन सीट से विधायक अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतारा है. इस तरह इस सीट पर साहब, बीबी और गैंगस्टर के बीच जंग बन गई है. सीवान में लोग शहाबुद्दीन को साहब कहकर संबोधित करते थे.

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दरअलस, सीवान की राजनीति के केंद्र में लंबे समय तक शहाबुद्दीन का प्रभाव रहा. वह यहां से चार बार सांसद बने.  2021 में कोरोना के कारण शहाबुद्दीन का दिल्ली के तिहाड़ जेल में निधन हो गया. इसके बाद से तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद ने उनके परिवार से दूरी बना ली. शहाबुद्दीन के निधन के बाद लालू परिवार के रुख को लेकर हीना शाहेब ने कई बार दुख जताया. फिर उन्होंने काफी पहले ही राजद से दूरी बनाने का फैसला कर लिया। हालांकि, इस चुनाव से पहले राजद ने उनको एक बार फिर साधने की कोशिश की, लेकिन वह निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़ी रहीं. उन्होंने सीवान से 30 अप्रैल को अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया.

जदयू से पूर्व विधायक की पत्नी मैदान में

नीतिश कुमार जदयू ने अपनी मौजूदा सांसद कविता सिंह का टिकट काट दिया है. कविता सिंह जिले के एक अन्य बाहुबली अजय सिंह की पत्नी हैं. उसने अपने एक पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी कुशवाहा को मैदान में उतारा है. इस तरह से सीवान की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है।

राजद का प्रभाव..

जहां तक मौजूदा स्थिति की बात है तो सीवान लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की छह सीटें हैं. इन छह में से पांच पर महागठबंधन के विधायक हैं. सीवान सदर से राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी, जीरादेई से भाकपा माले के अमरजीत कुशवाहा, दरौली से भापका माले के सत्यदेव राम, रघुनाथपुर से राजद के हरिशंकर यादव और बड़हरिया से राजद के बच्चा पांडे विधायक है. एक मात्र सीट दुरौंधा से भाजपा के करणजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह विधायक हैं. सीवान में राजद का मजबूत जनाधार होने के बावजूद इस चुनाव में लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.

मैडम हिना का अपना वकार…

2019  के लोकसभा चुनाव में कविता सिंह करीब 1.17 लाख वोटों से जीती थीं. लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि उस चुनाव में यहां से भाकपा माले ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था. ऐसी स्थिति में राजद की हीना शाहब को 3.31 लाख और भाकपा माले के अमरनाथ यादव के करीब 75  हजार वोट मिले थे.  

जातीय समीकरण

जहां तक सीवान के जातीय समीकरण की बात है तो अनुमान के मुताबिक यहां करीब तीन लाख मुस्लिम, 2.5 लाख यादव, 1.25 लाथ कुशवाहा और 80 हजार के आसपास साहनी वोटर हैं. इसके अलावा करीब चार लाख अगड़ी जाति और 2.5 लाख ईबीसी मतदाता हैं.

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