
दावते इस्लामी का आज़मिश्मुश्शान इज्तिमा-ए-आम हजरत सुब्हानल्लाह शाह दरगाह मैदान में जारी है। जहां महाकौशल के अलग-अलग हिस्सों से मदनी काफिले आए हुए हैं और इस शदीद ठंड में भी इश्क-ए-रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का पैगाम अहले जबलपुर को सुना रहे हैं।
शनिवार को सुबह 11 बजे दो रोज़ा इज्तिमा का आगाज़ तिलावत-ए-कुरआन-ए-पाक से हुआ। इसके बाद मुल्कभर से तशरीफ़ लाए उलेमा-ए-किराम ने खिताब किया और मदनी काफिले में आए मेहमानों को इज्तिमा का मकसद बताया। जोहर तक चले पहले सेशन में विभिन्न विषयों पर खिताब किया गया।

जोहर के बाद दूसरा सेशन प्रैक्टिकल सेशन था, जिसमें मोहर्रम कलीम साहब ने गुस्ल-ए-मैयत और नमाज़-ए-जनाज़ा का तरीका सिखाया। ताकि लोग मिट्टी को गुसल देते समय सक्षम हो सकें और अपने घर के लोगों को खुद गुसल दे सकें, किसी और की ज़रूरत न पड़े।
असर के बाद शुरू हुए तीसरे सेशन में हाफिज अब्दुल कादिर साहब ने बच्चों की परवरिश और नौजवानों की तरबियत पर खिताब फरमाया।

इशा के बाद शुरू हुए आखिरी सेशन का विषय “हुकूकुल इबाद” था। जिसमें उलेमा-ए-किराम ने इंसानी रिश्तों की अहमियत, उनके अधिकार, पड़ोसियों के हुकूक, समाज के हुकूक, और शहरवासियों के हुकूक के बारे में बताया और हर मुसलमान को हुकूकुल इबाद अदा करने की नसीहत की।
दूसरे दिन का सेशन आज सुबह 9 बजे से शुरू हो चुका है… जो इशा तक जारी रहेगा।