ईद के दिन गाजा के मुसलमानों ने क्या किया
ईद की खुशियां जहां पूरी अरब दुनिया में मनाई गई। वहीं अरब देशों का दिल कहे जाने वाला फलस्तीन ईद पर आंसुओं में डूबा नजर आया।
जुल्म की इंतेहा में जीते गाजा, रफा और वेस्टबैंक के फलस्तीनियों ने ईद के दिन भी खुदा का शुक्र अदा किया, ईद की नमाज अदा की।
नमाज के बाद गाजा बड़ी आबादी उनकी याद में खो गई, जिन्हें उन्होंने बीते 06 महीने में खोया है। बाकी लोग अपने घायलों की तीमारदारी में लग गए। जो बचे थे वो खाने और पानी तलाश में रिफ्यूजी कैंप और यूनएन कैंप, मिस्र बॉर्डर के बहार कतार लगाए थे।
बुधवार को फलस्तीन ने भी ईद मनाई। उनकी ईद में गम था, दर्द था, तकलीफ थी। लेकिन मायूसी और नाउम्मीदी नहीं थी।
दुनिया भर की ईदगाहों में फलस्तीन के मजलूमों के लिये दुआएं की गई।
आज हिन्दुस्तान में ईद मनाई जाएगी। आज हिन्दुस्तान में फलस्तीन के लिये विशेष दुआएं की जाएंगी।
दुनिया की खुली जेल और उस जेल में चारों तरफ से होते हमलों के बीच गाजा ने ईद मनाई। कुछ खरीदना तो दूर, खाने और पीने के पानी तक का इंतेजाम 80 फीसद गाजावासियों के पास नहीं था। इस बदतरीन हालात में फलस्तीन और गाजा वासियों रब का शुक्र अदा किया। ईद की सभी इबादात और परम्पराएं पूरी की।
गौरतलब है कि बीते 6 महीने में करीब 34 हजार लोग मारे जा चुके हैं। 60 फीसद घर हमलों में तबाह है। 70 फीसद स्कूल तबाह है, 55 फीसद अस्पताल हमले में तबाह हैं। 15 लाख गाजा वासी घर छोड़कर कैंप में रहने को मजबूर हैं।
ऐसे हालात में ईद खुशियों के लिये जगह और हिम्मत दोनों नहीं बचती। लेकिन यह सब्र और हिम्मत सिर्फ फलस्तीन के पास है कि वो ऐसे हालात में भी रब का शुक्र अदा कर रहे हैं।
सुबह से बेटे की कब्र पर
गाजा पट्टी में रेड क्रिसेंट टीम के सदस्य फौद अबू खमाश की मां ने कहा, ‘ईद दुखद है… सुबह से मैं अपने बेटे की कब्र पर बैठी हूं।’ जो काम करते समय इजरायली सेना द्वारा मारे गए थे। एक अन्य महिला, उम्मे अहमद, जिन्होंने हाल ही में अपने शौहर को खो दिया, ने कहा कि आज ईद जैसा महसूस नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘जब हम उठे तो मुझे अपने पति की याद आई, जो इस जंग में शहीद हो गए थे।’ ‘कोई ईद का माहौल नहीं है या बच्चों के लिए ईद के कपड़े नहीं हैं, और हम ईद केक तैयार नहीं कर सके। इस साल कोई ईद नहीं है; आज मै दुखी हूँ।’
बच्चों को खिलौनों में दिलचस्पी नहीं रही
दक्षिणी गाजा के राफा में एक दुकानदार अहमद इस्माइल ने अल जज़ीरा को बताया, ‘ ईद पर बच्चों में भी अब खिलौनों में उतनी दिलचस्पी नहीं रह गई है, जितनी पहले हुआ करती थी। मेरी जिंदगी में यह अब तक की सबसे दुखद ईद है।
किसी खुशी के बारे में नहीं सोचते
रफ़ा में जहां 15 लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी शरण लिए हुए हैं, वहां एक विस्थापित व्यक्ति, जबर हसन ने कहा: ‘हम सभी तरह से पीड़ित हैं। लोग मुश्किल से जिंदा रह पाते हैं. वे मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाते हैं। हम अब ईद या जश्न या किसी कोई और तरह की खुशी के बारे में नहीं सोचते हैं।’
फिर भी हम एक हैं
अल जज़ीरा के तारिक अबू अज़्ज़ौम ने कहा कि लोगों ने राफा में ईद की नमाज़ अदा की, जबकि दहशत बनाए रखने के लिये इजरायली सैन्य ड्रोन ऊपर से उड़ रहे थे। फिर भी, फ़िलिस्तीनी आज यहां ईद-उल-फ़ितर की नमाज़ अदा कर रहे हैं क्योंकि वे चारों ओर फैली भारी तबाही, उदासी और गम के बावजूद इकट्ठा हो रहे हैं और एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं।’
अब्बास ने की कतर से बात
फ़िलिस्तीनी समाचार एजेंसी वादा के अनुसार, फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास ने ईद के दिन कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से फ़ोन पर बात की है। वफ़ा ने कहा, कॉल के दौरान, अब्बास ने कतरी अमीर को गाजा में लगातार इजरायली हमले के बारे में जानकारी दी, जिसमें तत्काल युद्धविराम और सहायता आपूर्ति में बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
अब्बास ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इजरायल की ‘खतरनाक वृद्धि’ पर भी बात की, जहां इजरायली निवासियों और सुरक्षा बलों ने 7 अक्टूबर से फिलिस्तीनियों पर छापे और हमले तेज कर दिए हैं। वफ़ा की रिपोर्ट के अनुसार, शेख तमीम ने फिलिस्तीनी लोगों के लिए कतर के समर्थन का भरोसा दिलाया।
दिन में नहीं हुये हमले, रात मुश्किल
ईद के दिन पूरे गाजा में दहशतनाक शांति थी। देर शाम तक किसी तरह के हमले होने की जानकारी सामने नहीं आई।
हालाँकि, रात भर हुए हवाई हमलों में, इजरायली लड़ाकू विमानों ने एक आवासीय घर को निशाना बनाया, जिसमें बच्चों सहित कम से कम 14 फिलिस्तीनी मारे गए। वे ईद-उल-फितर मनाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन बिना किसी चेतावनी के मारे गए। कुछ लोगों का कहना है कि हमले में आई यह कमी रफा पर बड़े हमले की तैयारी का हिस्सा है।