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(BAZ Video) ईद मिलादुन्नबी मुबारक : सवाल: जब हिजरी सन 1447 हिजरी फिर कैसे कैसे मनाया जाएगा ‘1500 वां ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ ? जानिए सैफ मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ इमरान का जवाब

जबलपुर। सैफ मस्जिद के खतीब व इमाम हाफ़िज़ इमरान अत्तारी ने ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ के मौके पर बाज मीडिया के जरिये मुसलमानों को मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि इस साल ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ का एक खास ऐतिहासिक पड़ाव है। अल्हम्दुलिल्लाह, यह 1500 वां ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ है, जिसे हमें पूरे जोश और जज़्बे के साथ मनाना चाहिए।

1500वां ईद-ए-मीलादुन्नबी कैसे? वीडियो देखें ..

सजावट और लंगर से मनाएं, नुकसानदेह चीज़ों से परहेज़ करें

हाफ़िज़ इमरान अत्तारी ने कहा कि हमें अपने घरों को सजाना चाहिए, लंगर खिलाना चाहिए, एक-दूसरे को मुबारकबाद पेश करनी चाहिए। लेकिन इस मौके पर पटाख़े फोड़ना, बड़े-बड़े झंडे घुमाना या तेज़ डीजे बजाना शरीयत के खिलाफ़ है और इससे लोगों को तकलीफ़ पहुंच सकती है।
उन्होंने साफ़ कहा कि:

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  • पटाख़े फोड़ना फिज़ूलखर्ची है और इस्लाम में जायज़ नहीं।
  • भारी झंडे या जुलूस से भी लोगों को नुक़सान पहुंच सकता है।
  • तेज़ आवाज़ वाले डीजे से मरीज़, बच्चे और बुज़ुर्ग परेशान होते हैं।

ईद-ए-मिलादुन्नबी: ईदों की भी ईद

इमाम साहब ने उलमा के हवाले से कहा कि ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ दरअसल “ईदों की भी ईद” है। अगर सरकार-ए-दो आलम ﷺ दुनिया में तशरीफ़ न लाते तो न कोई ईद होती और न कोई दूसरी इस्लामी शबे-मुबारक होती।

उन्होंने रसूल पाक ﷺ की विलादत के वाक़े का ज़िक्र करते हुए बताया कि जब आप ﷺ की पैदाइश का वक्त करीब आया तो हज़रत जिब्रील अमीन अलैहिस्सलाम तीन बड़े झंडे लेकर आए—एक पूरब में गाड़ा, दूसरा पश्चिम में और तीसरा काबा की छत पर। यह झंडे लगाना सुन्नत है और आज भी इसका सिलसिला जारी है।

अमन और मोहब्बत का पैग़ाम

हाफ़िज़ इमरान अत्तारी ने नौजवानों से अपील की कि वे इस बार ईद-ए-मिलादुन्नबी ﷺ को अमन, मोहब्बत और शरीयत की हदों में रहकर मनाएं। उन्होंने कहा, “ऐसे मनाना है कि किसी भी मुसलमान या इंसान को हमारी तरफ़ से कोई तकलीफ़ न पहुंचे। अगर हमने शरीयत के खिलाफ़ तरीके अपनाए तो सवाब की जगह अज़ाब बन सकता है।”

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आख़िर में उन्होंने दुआ की कि अल्लाह तआला तमाम उम्मत को खुशदिली के साथ, शरीयत के दायरे में रहकर, इस पाक मौके को मनाने की तौफ़ीक़ अता फरमाए।

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