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गाजा की आह बनी बाईडन की रिपब्लिकन पार्टी की हार की वजह.. ट्रम्प का बने अमेरिका के 47वां वें राष्ट्रपति

वॉशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिका चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप की सरकार बनने जा रही है। वोटों की गिनती में ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। वहीं डेमोके्रटिक उम्मीदवार कमला हैरिस राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में पीछे रह गई हैं। डोनाल्ड ट्रम्प फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। उन्हें 50 राज्यों की 538 में से 277 सीटें मिली हैं, बहुमत के लिए 270 सीटें जरूरी होती हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की कैंडिडेट कमला हैरिस कड़ी टक्कर देने के बावजूद 224 सीटें ही जीत पाईं।

अमेरिकी चुनावों के परिणामों ने एक नया मोड़ लिया है, खासकर मुस्लिम वोटरों के संदर्भ में। इस बार के चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प को मुस्लिम मतदाताओं का अप्रत्याशित समर्थन मिला है, जो आमतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में होते हैं। जानकार मान रहे हैं मिडिल ईस्ट और खासकर गाजा पर बाईडन प्रशासन की अस्पष्ट नीति और ट्रम्प के मिडिल में शांति स्थापना के वादे ने डेमोक्रेटिक पार्टी को सपोर्ट करने वाले मुसलमानो को रिपब्लिकन की तरफ मोड़ दिया और हारता हुआ चुनाव ट्रम्प जीत गये.

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ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी ने 538 इलेक्टोरल वोटों में से 277 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को 224 सीटें ही मिल पाई हैं। इस जीत के साथ ट्रम्प का 47वां राष्ट्रपति बनना लगभग तय हो गया है।

मुस्लिम वोटर्स का यह समर्थन, जो आमतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर झुका रहता है, इस बार ट्रम्प के पक्ष में जाता हुआ देखा गया। खासकर मिशिगन राज्य में, जहां मुस्लिम समुदाय की बड़ी संख्या है, ट्रम्प को जीत मिली है। यह राज्य आमतौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए मानी जाती रही है, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाताओं ने ट्रम्प को अपना समर्थन दिया है, जो डेमोक्रेट्स के लिए एक बड़ा झटका है।

मुस्लिम समुदाय की नाराजगी और ट्रम्प का फायदा

यह बदलाव अमेरिका में चल रहे इजरायल-गाजा संघर्ष और इसके संबंध में अमेरिकी विदेश नीति के कारण हुआ है। अमेरिकी मुस्लिम समुदाय की बड़ी संख्या ने बाइडन प्रशासन की विदेश नीति, खासकर इजरायल के प्रति समर्थन, पर असंतोष व्यक्त किया है। बाइडन सरकार द्वारा इजरायल को सैन्य सहायता देने की नीतियों ने मुस्लिम वोटरों को नाराज कर दिया।

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ट्रम्प ने इस असंतोष को समझा और अपनी चुनावी रैलियों में मिडल ईस्ट में शांति की बात की। उन्होंने इजरायल और गाजा संघर्ष के संदर्भ में अपनी नीतियों को लेकर यह संदेश दिया कि वे युद्ध को रोकने के लिए काम करेंगे, जिससे मुस्लिम मतदाता उनसे जुड़ने में सहज महसूस कर रहे हैं। ट्रम्प के इस रुख ने उन्हें मुस्लिम समुदाय के बीच एक नई स्वीकार्यता दिलाई है।

मिशिगन और डियरबोर्न में बदलाव

मिशिगन राज्य के डियरबोर्न शहर में ट्रम्प ने अपनी रैली के दौरान मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की और कहा कि अरब अमेरिकी और मुस्लिम वोटर्स अमेरिका की विदेश नीति को लेकर निराश हैं। डियरबोर्न, जहां की 55% आबादी मुस्लिम है, यह एक अहम इलाका माना जाता है। ट्रम्प ने कहा कि इस चुनाव में मुस्लिम समुदाय का समर्थन उन्हें जीत दिला सकता है।

मुस्लिम समुदाय ने इस बार ट्रम्प के पक्ष में वोट किया, जबकि 2020 के चुनाव में यही समुदाय डेमोक्रेट्स के पक्ष में खड़ा था। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता, खासकर कमला हैरिस, फिलीस्तीनी समर्थकों और युद्ध विरोधी कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहे, जिससे मुस्लिम समुदाय में नाराजगी बढ़ी थी।

ट्रम्प के चुनावी वादे और मुस्लिम मतदाताओं का विश्वास

ट्रम्प ने चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली स्पीच में मिडल ईस्ट में शांति स्थापित करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि वे युद्ध को रोकने के लिए काम करेंगे और अपने प्रशासन के दौरान मुस्लिम देशों के खिलाफ कठोर नीतियों को फिर से लागू करेंगे। यही कारण है कि मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन इस बार ट्रम्प के पक्ष में दिखाई दिया है, जो कभी रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में नहीं रहा था।

डेमोक्रेटिक पार्टी की चुनौती

अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि डेमोक्रेटिक पार्टी, विशेषकर कमला हैरिस और बाइडन प्रशासन, अपने मुस्लिम समर्थकों का विश्वास कैसे फिर से जीतेंगे। इजरायल और गाजा के मुद्दे पर बाइडन प्रशासन की नीतियों ने मुस्लिम वोटरों के बीच खटास बढ़ाई है। इसके अलावा, कमला हैरिस को लेकर भी मुस्लिम समुदाय में असंतोष देखा जा रहा है। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी को मुस्लिम समुदाय का समर्थन फिर से हासिल करना एक बड़ी चुनौती होगी।

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