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ओमान में बच्चों ने रामलीला का मंचन किया, भारतीय संस्कृति से हुआ गहरा परिचय

मसकट: ओमान में भारतीय समुदाय ने दीपावली के मौके पर अपनी संस्कृति और परंपराओं को मनाने का एक अनोखा तरीका अपनाया। ओमान के सोहार क्षेत्र स्थित सौद भवन पाम गार्डेन में दीपावली के बाद आयोजित रामलीला का मंचन एक विशेष कार्यक्रम बन गया, जिसमें बच्चों ने अपनी कला और मेहनत से भारतीय संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन किया।

यह आयोजन सोहार सोसायटी में रहने वाले भारतीय हिंदू परिवारों ने किया था। यहां भारतीय समुदाय के बच्चों को रामलीला के मंचन में शामिल किया गया था, ताकि वे भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से जुड़ सकें और उन्हें समझ सकें। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि सभी बच्चों को किसी न किसी महत्वपूर्ण भूमिका में शामिल किया गया था, और उन्हें राम कथा के पात्रों के संवाद लिखने का भी अवसर मिला।

बच्चों ने इस आयोजन के लिए महीनों तक मेहनत की और प्रैक्टिस की। रामलीला के सूत्रधार का किरदार आर्नव ने निभाया, जबकि विवान ने भगवान राम की भूमिका अदा की। मोहना ने सीता के रूप में अपनी प्रस्तुति दी, वहीं हनुमान की भूमिका में आरीव सिंह वर्मा और शबरी के रूप में सानवी ने अभिनय किया। बच्चों द्वारा निभाई गई भूमिकाओं में न केवल उनकी अभिनय क्षमता की झलक मिली, बल्कि इससे उनके भारतीय धार्मिक ग्रंथों और कथाओं के प्रति एक गहरा जुड़ाव भी हुआ।

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इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह था कि विदेश में रहने वाले भारतीय बच्चे अपनी जड़ों से जुड़ें और अपनी संस्कृति, धर्म और परंपराओं को समझें। विशेष रूप से ओमान जैसे देश में, जहां की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि भारतीय से काफी भिन्न है, ऐसे आयोजनों से बच्चों को भारतीय संस्कृति का वास्तविक अनुभव होता है।

बच्चों ने न केवल रामलीला के मंचन में अपनी कला का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति के मूल्यों को भी महसूस किया। इस कार्यक्रम ने उन्हें भारतीय धार्मिक परंपराओं, जैसे भगवान राम के आदर्शों, शबरी की भक्ति, और हनुमान की वीरता से अवगत कराया।

इस तरह के आयोजन विदेशों में भारतीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन जाते हैं, जहां बच्चे अपनी सांस्कृतिक धरोहर से न केवल परिचित होते हैं, बल्कि उसे जीने का अवसर भी प्राप्त करते हैं। ओमान में यह रामलीला मंचन भारतीय बच्चों के लिए एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक अनुभव साबित हुआ, जो उनके लिए भारतीय धर्म और संस्कृति को समझने और सहेजने का एक विशेष मंच बन गया।

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