
2024 के दौरान, भारत में अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ अपराधों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। खासकर मुस्लिम और ईसाई समुदाय को धार्मिक आधार पर निशाना बनाया जा रहा है। उग्रवादियों द्वारा धार्मिक पहचान के आधार पर हमले किए जा रहे हैं, और धर्म परिवर्तन के आरोपों में भी वृद्धि हो रही है। मस्जिदों और चर्चों में तोड़फोड़ की जा रही है और धार्मिक अनुष्ठान करने पर भी विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। ये हमले समय के साथ बढ़ते जा रहे हैं, खासकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2024 तक भारत भर में ईसाई समुदाय के खिलाफ 745 हिंसक घटनाएँ दर्ज की गई हैं। यह संख्या पिछले दो वर्षों 2023 और 2022 के मुकाबले काफी अधिक है। इन घटनाओं में बढ़ोतरी को लेकर ईसाई धार्मिक संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (UCF) ने मोदी सरकार से मांग की है कि एक राष्ट्रीय स्तर की जांच शुरू की जाए ताकि मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ बढ़ते हुए अत्याचारों की जांच की जा सके।
हिंसा में बढ़ोतरी:
UCF ने बताया है कि 2014 में 127 घटनाओं के मुकाबले, नवंबर 2024 तक ये संख्या बढ़कर 745 हो गई है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जहाँ 2023 में 287 और 2024 में 182 मामले दर्ज किए गए। छत्तीसगढ़ जैसी अन्य राज्यों में भी हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। हालांकि, UCF का मानना है कि ये आंकड़े पूरी तरह सही नहीं हैं क्योंकि कई घटनाओं की रिपोर्ट नहीं की जाती।
धर्म परिवर्तन विरोधी कानूनों पर चिंता:
UCF ने 12 राज्यों में धर्म परिवर्तन के खिलाफ नए कानूनों के लागू होने पर भी चिंता जताई है। इन कानूनों को राजनीतिक तौर पर प्रेरित बताया गया है और कहा गया है कि ये धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में हाल ही में किए गए संशोधन को लेकर चिंता जताई गई है, जो पीएमएलए और यूएपीए जैसे कड़े कानूनों से मेल खाता है। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन माना जा सकता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
मणिपुर में जारी हिंसा:
UCF ने मणिपुर में जारी हिंसा पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है, जहां 2023 में कथित तौर पर 200 से ज्यादा चर्चों को नष्ट कर दिया गया। UCF ने पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस हिंसा में शामिल रही है और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है।
ईसाई समुदाय की मदद के लिए हेल्पलाइन:
ईसाई समुदाय के खिलाफ बढ़ते हमलों के मद्देनजर, UCF ने 2015 में एक टोल-फ्री हेल्पलाइन शुरू की थी, ताकि संकट में फंसे ईसाई समुदाय की मदद की जा सके और उन्हें कानूनी सहायता और अधिकारियों से संपर्क करने के बारे में मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके। हालांकि, UCF ने निराशा व्यक्त की है कि ईसाई समुदाय को निशाना बनाने वाले समूहों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर 2022 से कोई प्रगति नहीं हुई है।
भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ते हुए अपराध और हिंसा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। मुस्लिम और ईसाई समुदाय को धार्मिक आधार पर निशाना बनाया जा रहा है और सरकार से तुरंत कार्रवाई की जरूरत है ताकि धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण किया जा सके और इन समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।