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इजरायल-ईरान युद्ध: तबाही, धमकियां और वैश्विक चिंता; इजराइल ने टीवी स्टेशन उड़ाया, हाइफा रिफाइनरी ईरानी पर हमला

इजरायल-ईरान युद्ध : इजरायल और ईरान के बीच छिड़ा सैन्य संघर्ष हर गुजरते दिन के साथ और खतरनाक होता जा रहा है। बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन हमलों और जवाबी कार्रवाइयों ने दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। इजरायली शहरों में तबाही और ईरान में परमाणु ठिकानों पर हमलों के बीच, दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे को कड़ी चेतावनियां दी हैं। इस बीच, वैश्विक समुदाय इस क्षेत्रीय तनाव के विश्वव्यापी प्रभावों को लेकर चिंतित है।

बैट याम में तबाही….

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार को बैट याम शहर का दौरा किया, जहां ईरानी हवाई हमलों ने भारी तबाही मचाई। ध्वस्त इमारतों के बीच खड़े होकर नेतन्याहू ने ईरान को चेतावनी दी, “इस तबाही की कीमत ईरान को भारी चुकानी पड़ेगी। वे जानबूझकर रिहायशी इलाकों को निशाना बना रहे हैं।” उन्होंने इस युद्ध को इजरायल के अस्तित्व की लड़ाई करार देते हुए कहा कि ईरान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम इजरायल के लिए दोहरा खतरा है। उनके साथ राष्ट्रपति इसाक हरजोग और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन ग्विर भी थे, जिन्होंने नुकसान का जायजा लिया।

नेतन्याहू ने ईरान के दावे को खारिज करते हुए, जिसमें उनके सेसेरिया स्थित निजी आवास पर मिसाइल हमले की बात कही गई थी, सख्त लहजे में कहा, “ईरान को हमारे नागरिकों की मौत की भारी कीमत चुकानी होगी।” इजरायली सेना (आईडीएफ) ने पुष्टि की कि अधिकांश ईरानी मिसाइलें हवाई रक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट कर दी गईं, और नागरिकों को अब सुरक्षित स्थानों से बाहर आने की अनुमति दी गई है।

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हाइफा रिफाइनरी पर ईरानी हमला

ईरानी मीडिया ने दावा किया कि 14 जून की रात को हाइफा शहर में इजरायल की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी (बजान ऑयल रिफाइनरी) पर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दागी गईं। इस हमले में रिफाइनरी की पाइपलाइनें और ट्रांसमिशन लाइनें क्षतिग्रस्त हुईं, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ। रिफाइनरी का मुख्य हिस्सा अभी भी कार्यरत है, लेकिन कुछ सुविधाएं बंद कर दी गई हैं। तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज ने बताया कि इस हमले से रिफाइनरी के संचालन पर असर पड़ा है, जिसके वित्तीय प्रभावों की जांच की जा रही है।

हाइफा, इजरायल का एक प्रमुख बंदरगाह और औद्योगिक केंद्र है, जो देश के 30 प्रतिशत आयात के लिए महत्वपूर्ण है। इस हमले ने तेल आपूर्ति और पर्यावरणीय जोखिमों की चिंता बढ़ा दी है। हाइफा के पास तमरा शहर में एक मकान पर मिसाइल गिरने से एक मां और उनकी दो बेटियों सहित चार लोगों की मौत हो गई। इस हमले से वैश्विक तेल बाजार में हलचल मच गई, और तेल की कीमतों में 1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

ईरान का जवाब और डर्टी बम की आशंका

ईरान ने इजरायल के हमलों का जवाब ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 के तहत दिया, जिसमें उसने इजरायल पर 150 से अधिक मिसाइलें दागीं। ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 13 जून से इजरायली हमलों में 224 लोग मारे गए और 1,277 घायल हुए। ईरान ने दावा किया कि उसने इजरायल के तीन लड़ाकू विमानों को मार गिराया और दो पायलटों को बंधक बनाया। दूसरी ओर, इजरायल ने 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया और उत्तर-पूर्वी ईरान में माशाद एयरपोर्ट को निशाना बनाया।

इस बीच, पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रूबिन ने सनसनीखेज दावा किया कि इजरायल के लगातार हमलों से कमजोर हुआ ईरान रेडियोलॉजिकल ‘डर्टी बम’ का इस्तेमाल कर सकता है। यह हथियार पारंपरिक विस्फोटकों के साथ रेडियोधर्मी पदार्थों को मिलाकर बनाया जाता है, जो बड़े पैमाने पर प्रदूषण और दहशत फैला सकता है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने दिसंबर 2024 में चेतावनी दी थी कि ईरान ने 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन की गति बढ़ा दी है, जो हथियार-ग्रेड स्तर के करीब है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि डर्टी बम का इस्तेमाल ईरान के लिए जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि इससे वैश्विक समुदाय का गुस्सा और बढ़ेगा।

तेहरान में कार बम धमाके, इजरायल पर आरोप

ईरान की राजधानी तेहरान में एक के बाद एक पांच कार बम धमाकों ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। ईरान ने इन हमलों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। यह हमला तब हुआ, जब इजरायल ने शुक्रवार को ईरान के नौ शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों को मार गिराया था, जिससे ईरान में गुस्सा चरम पर है। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने इराक के प्रधानमंत्री से अपील की कि इराक की जमीन और हवाई क्षेत्र को इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के लिए इस्तेमाल न होने दिया जाए।

भारतीय दूतावास की सलाह

संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के संभावित जवाबी हमलों को लेकर इजरायल को आगाह किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ईरान के सैन्य और परमाणु कार्यक्रमों पर नजर रख रही हैं। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज किए हैं, लेकिन स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

इजरायल में मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए भारत के दूतावास ने एडवाइजरी जारी की है, जिसमें स्थिति पर नजर रखने और स्थानीय भारतीयों के साथ संपर्क में रहने की बात कही गई है। इजरायल के होम फ्रंट कमांड ने पूरे देश को सतर्क करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों के पास रहने और भीड़ से बचने की सलाह दी है।

इजरायल और ईरान के बीच यह युद्ध न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार और पर्यावरण के लिए भी चुनौती बन गया है। हाइफा रिफाइनरी पर हमले और डर्टी बम की आशंका ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सतर्क कर दिया है। जैसे-जैसे दोनों देश अपनी सैन्य कार्रवाइयों को तेज कर रहे हैं, विश्व शांति के लिए कूटनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।

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