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Iran Israel War : अपने दम पर ईरान से नहीं लड़ सका इजरायल: अब NATO की मदद ही उसे बचाएगी : जंग में जल्द होगी अमेरिका की एंट्री !

ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध ने पश्चिम एशिया में संकट की स्थिति पैदा कर दी है। जहां इजरायल दावा कर रहा है कि उसने ईरान की सैन्य और परमाणु क्षमताओं को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि इजरायली मिसाइल डिफेंस सिस्टम अब अपने अस्तित्व की परीक्षा से गुजर रहा है।

अमेरिकी खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इजरायल की लॉन्ग-रेंज मिसाइल इंटरसेप्टर्स की आपूर्ति तेजी से खत्म हो रही है। बीते शुक्रवार से अब तक ईरान ने करीब 400 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिनका जवाब देने में इजरायली डिफेंस सिस्टम बुरी तरह थक चुका है। फिलहाल देश के पास सिर्फ 10 से 12 दिनों का इंटरसेप्टर स्टॉक बचा है। यदि हमलों की यही गति रही, तो आने वाले हफ्तों में इजरायल की सुरक्षा प्रणाली जवाब दे सकती है।

रक्षा प्रणाली पर भारी खर्च

जानकारों के अनुसार, इजरायली एरो सिस्टम के एक इंटरसेप्टर की लागत लगभग 25 करोड़ रुपये है। बीते दिनों में मिसाइल हमलों को रोकने में इजरायल ने हर रात लगभग 1 अरब शेकेल (2380 करोड़ रुपये) खर्च किए हैं। ऐसे में लगातार ऑपरेशन और इंटरसेप्टर की खपत ने आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर भारी दबाव बना दिया है।

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इजरायल का जवाबी हमला और उसकी सीमाएं

‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत इजरायल ने ईरान के कई ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें मिसाइल लॉन्चर, सैन्य अड्डे और परमाणु से जुड़े संभावित स्थान शामिल हैं। बताया गया है कि ईरान के तीन में से एक प्रमुख मिसाइल लॉन्चर को तबाह कर दिया गया है। बावजूद इसके, ईरान के पास अभी भी लगभग 1000 से ज्यादा मिसाइलें मौजूद हैं, जिनमें से कई अज्ञात भूमिगत ठिकानों में छिपी हो सकती हैं।

डिफेंस शील्ड पर बना भारी दबाव

इजरायल की मल्टी-लेयर डिफेंस प्रणाली में आयरन डोम, एरो सिस्टम, और अमेरिका से प्राप्त पेट्रियट और THAAD सिस्टम शामिल हैं। मगर ये सभी अब थकावट की स्थिति में हैं। अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने भी चेतावनी दी है कि जल्द ही इजरायल को यह तय करना होगा कि कौन-सी मिसाइल को इंटरसेप्ट किया जाए और किन्हें नजरअंदाज किया जाए – यानी राष्ट्रीय सुरक्षा का गणित अब बहुत कठिन होता जा रहा है।

भविष्य में संकट के संकेत

शुक्रवार की रात कुछ ईरानी मिसाइलें डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए तेल अवीव स्थित आईडीएफ मुख्यालय के पास आकर गिरीं। वहीं रविवार को एक मिसाइल हमले के चलते हाइफा की एक तेल रिफाइनरी को बंद करना पड़ा। इस युद्ध में अब तक 24 नागरिकों की मौत और 600 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है।

अमेरिका से उम्मीदें, लेकिन समय कम

विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका ने जल्द इंटरसेप्टर भेजने या प्रत्यक्ष सैन्य सहायता देने में देरी की, तो इजरायल की सबसे एडवांस्ड डिफेंस शील्ड महज कुछ ही दिनों में चरमरा सकती है। आने वाले सप्ताह युद्ध के निर्णायक मोड़ बन सकते हैं, जहां इजरायल को सैन्य रणनीति से अधिक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की भी दरकार होगी।

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