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ईरान में सख्त कानून: जासूसी करने वालों को कड़ी सजा, मुल्क की हिफाज़त के लिए बड़ा कदम

गिलान, ईरान | 26 जून 2025 । ईरान ने हाल में इजरायल और अमेरिका के साथ 12 दिन की जंग के बाद, जो 23 जून 2025 को सुलह के साथ खत्म हुई, अब मुल्क की हिफाज़त के लिए और सख्त कदम उठाए हैं। ईरानी पार्लियामेंट और अदालतें उन लोगों के खिलाफ कड़े कानून ला रही हैं, जो मुल्क की सलामती के लिए खतरा बन सकते हैं।

जासूसी और गद्दारी पर नया कानून

23 जून को ईरानी पार्लियामेंट ने एक बिल पास किया, जिसमें इजरायल, अमेरिका या दुसरे “दुश्मन” मुल्कों के साथ जासूसी या मदद करने वालों को कड़ी सजा देने का फैसला हुआ। ऐसे कामों को “ज़मीन पर फसाद” माना जाएगा, जिसकी सजा मौत तक हो सकती है। पार्लियामेंट के मेंबर अलीरेज़ा सलीमी ने कहा कि ये कानून सिक्योरिटी फोर्सेस को और ताकत देगा।

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अदालत के प्रवक्ता असघर जहांगीर ने मंगलवार को सरकारी टीवी पर बताया कि पुराना जासूसी कानून नाकाफी है और नए तरीके की जासूसी को कवर नहीं करता। नया कानून उन लोगों को भी निशाना बनाएगा, जो हथियार, पैसा, जायदाद या क्रिप्टोकरेंसी लेकर दुश्मन मुल्कों की मदद करते हैं।

गिरफ्तारी और सजा-ए-मौत

जंग के दौरान पूरे मुल्क में 700 से ज़्यादा लोग गिरफ्तार हुए, और हर रोज़ नई गिरफ्तारियां हो रही हैं। 25 जून को, उर्मिया (पश्चिमी अज़रबैजान) में तीन ईरानियों को इजरायल के साथ मिलकर काम करने के इल्ज़ाम में फांसी दी गई। इन पर 2020 में साइंटिस्ट मोहसन फाखरिज़ादेह की हत्या के लिए हथियार लाने का इल्ज़ाम था। जंग शुरू होने के बाद तीन और लोगों को जासूसी के लिए फांसी हुई।

खुज़िस्तान के प्रॉसिक्यूटर जनरल अमीर खोलफियान ने 23 लोगों पर “तोड़फोड़” और “इस्लामी जम्हूरिया के खिलाफ प्रचार” के इल्ज़ाम में केस दर्ज किया। करमानशाह में 115, फारस में 53 और गिलान में 36 लोग पकड़े गए।

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ऑनलाइन हरकतों पर पाबंदी

ईरानी हुकूमत ऑनलाइन गतिविधियों पर भी नज़र रख रही है। कई लोगों को अदालत के क्राइम प्रिवेंशन डिपार्टमेंट से मैसेज मिला, जिसमें कहा गया कि इजरायल से जुड़े ऑनलाइन अकाउंट्स को सपोर्ट करना या फॉलो करना जुर्म है। मैसेज में चेतावनी दी गई: “आपके नंबर का रिकॉर्ड ज़ायनवादी अकाउंट्स से जुड़ा है। अपने कमेंट्स और लाइक्स हटाओ, वरना सजा भुगतनी पड़ेगी।”

न्यूक्लियर पॉलिसी और IAEA से रिश्ता तोड़ा

23 जून को पार्लियामेंट ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ ताल्लुकात खत्म करने का फैसला किया। ईरानी हुकूमत का इल्ज़ाम है कि IAEA ने अमेरिका और इजरायल के हमलों को आसान बनाया। पार्लियामेंट स्पीकर मोहम्मद बाघेर घालिबाफ ने कहा कि ईरान अब अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को और तेज़ी से बढ़ाएगा। कुछ सांसद न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) से निकलने के हक में हैं।

अमेरिकी खबरों के मुताबिक, रविवार को हुए हमलों में ईरान के पहाड़ों में छिपे न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह करने में अमेरिका नाकाम रहा। IAEA ने कहा कि उसे ईरान के 408 किलो से ज़्यादा 60% यूरेनियम के भंडार की जगह का पता नहीं।

रायस का पैगाम

मंगलवार को रायस मसूद पेज़ेशकियान ने मुल्क के नाम पैगाम में जंग को “तारीखी जीत” बताया और कहा कि ईरानियों में फूट डालने की साजिश कभी कामयाब नहीं होगी।

इंसानी हकूक की चिंता

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि इजरायल के साथ मिलकर काम करने के इल्ज़ाम में पकड़े गए लोगों के जल्दबाज़ी में मुकदमे और फांसी “ईरानी हुकूमत की तरफ से सजा-ए-मौत का इस्तेमाल मुल्क पर कंट्रोल और लोगों में खौफ पैदा करने के लिए हो रहा है।” संगठन ने “नाइंसाफी भरे मुकदमों” की भी निंदा की।

ईरान के ये कदम इलाके में तनाव और इंसानी हकूक को लेकर चिंता बढ़ा रहे हैं। हालात पर नज़र रखना ज़रूरी है।

बाज़ मीडिया | गिलान, ईरान

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