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सिर्फ 3 दिनों में 2000 लोगों की हत्या! सूडान में दोहराया गया नरसंहार

बाज़ मीडिया, राजधानी डिवीज़न, भोपाल | 29 अक्टूबर 2025
सूडान के दारफुर इलाक़े से एक बार फिर वही खौफ़नाक तस्वीरें सामने आ रही हैं — जिनसे इंसानियत शर्मिंदा हो जाए। अल-फ़शर शहर में अर्धसैनिक संगठन रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के कब्ज़े के बाद जो कुछ हुआ, उसे देख कर लगता है जैसे दारफुर नरसंहार फिर से लौट आया है।

17 महीनों की घेराबंदी के बाद जब आरएसएफ ने रविवार को अल-फ़शर पर कब्ज़ा किया, तो शहर खून और राख में बदल गया। सूडानी सरकार ने बताया कि कम से कम 2,000 लोग मारे गए हैं, जबकि राहत एजेंसियाँ कह रही हैं कि असली आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा है।

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🔴 सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाई दीं लाशों जैसी आकृतियाँ

येल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों में मानव शरीर जैसी आकृतियाँ और लाल रंग के बड़े क्षेत्र देखे हैं — जो सामूहिक कब्रों की ओर इशारा करते हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, शहर में घर-घर छापेमारी, भागते नागरिकों पर गोलीबारी और महिलाओं के साथ यौन हिंसा की घटनाएँ आम हो गई हैं।

🌍 इस्लामी और अरब देशों की कड़ी निंदा

सऊदी अरब, मिस्र, तुर्की, कतर और जॉर्डन — सभी देशों ने इस क़त्लेआम की कड़ी निंदा की है।

  • सऊदी अरब ने इसे “गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन” बताते हुए कहा कि आरएसएफ नागरिकों की सुरक्षा करे।
  • मिस्र ने तुरंत मानवीय संघर्ष विराम लागू करने और सूडान की एकता बनाए रखने की अपील की।
  • तुर्की ने कहा कि “अल-फ़शर के नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग और राहत की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।”
  • कतर ने “भयानक उल्लंघनों” की निंदा करते हुए शांति वार्ता की मांग की।
  • जॉर्डन ने कहा कि “अब वक्त है संयम का — नागरिकों की जान बचाना सबसे ज़रूरी है।”

🕊️ संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चेतावनी

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मलेशिया में कहा कि “अल-फ़शर की हार सूडान युद्ध में भयानक बढ़ोतरी का संकेत है।” उन्होंने कहा कि बाहरी देशों के हस्तक्षेप ने सूडान में शांति की संभावना को लगभग खत्म कर दिया है।

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⚠️ आरएसएफ — वही जंजावीद की संतान, वही ज़ुल्म की कहानी

आरएसएफ दरअसल उसी जंजावीद मिलिशिया से पैदा हुआ संगठन है जिसने 2000 के दशक में दारफुर में लाखों लोगों का नरसंहार किया था।
अमेरिका पहले ही घोषित कर चुका है कि इस बार भी आरएसएफ और उसके सहयोगी “जनसंहार” के दोषी हैं।

📉 क्या सूडान फिर बँट जाएगा?

दारफुर का ज़्यादातर इलाका अब आरएसएफ के कब्ज़े में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सूडान में एक और विभाजन की संभावना बढ़ गई है — जैसे 2011 में दक्षिण सूडान अलग हुआ था।
अगर यह युद्ध नहीं रुका, तो अफ्रीका का यह सबसे बड़ा देश टुकड़ों में बंट सकता है।

🤲 मानवता के लिए एक पुकार

मानवीय एजेंसियाँ अल-फ़शर में राहत पहुँचाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन लगातार गोलीबारी और सड़क बंद होने से लाखों लोग फंसे हुए हैं।
पानी, खाना और दवाइयों की भारी कमी है — और दुनिया अब भी खामोश है।


📣 बाज मीडिया का संपादकीय संदेश:
दारफुर हो या गाज़ा, कश्मीर हो या दिल्ली — जब इंसानी जान की कीमत घटा दी जाती है, तो पूरी दुनिया ज़िम्मेदार होती है।
सूडान के इस नरसंहार पर चुप रहना, इंसानियत से गद्दारी के बराबर है।

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