खामेनेई का सख़्त संदेश— “हिजाब महिलाओं की गरिमा और अमानत की हिफ़ाज़त करता है, पश्चिम उन्हें भोग की वस्तु बनाता है”

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अल-उज़मा अली खामेनेई ने एक बार फिर अनिवार्य हिजाब और इस्लामी ड्रेस कोड के समर्थन में दो-टूक बयान दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई लगातार पोस्ट करते हुए उन्होंने पश्चिमी समाज और पूंजीवादी व्यवस्था पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस्लाम ने जिस इज़्ज़त, सुरक्षा और शान के साथ महिलाओं को नवाज़ा है, उसकी मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलती।
सांसदों की आलोचना के 24 घंटे बाद आया बयान
यह बयान उस समय आया है जब ईरान की संसद के 150 से ज्यादा सांसदों ने न्यायपालिका पर आरोप लगाया था कि वह हिजाब कानून को ढीला कर रही है। बयान के ठीक एक दिन बाद खामेनेई ने बड़ा स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि:
“समाज का पहला फर्ज़ है महिलाओं की हिफ़ाज़त, उनकी गरिमा और सुकून को सुनिश्चित करना। इस्लाम यही करता है।”
उन्होंने पश्चिमी व्यवस्था पर आरोप लगाया कि वहाँ महिलाओं को विज्ञापनों, फैशन इंडस्ट्री और फिल्मी बाज़ार का ‘सामान’ बना दिया गया है।
“पश्चिम में महिला को सिर्फ शरीर समझा जाता है”
ख़ामेनेई ने अपने संदेश में पश्चिमी देशों की उस मानसिकता की आलोचना की, जहाँ—
- महिलाओं को मार्केटिंग टूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है
- लैंगिक वेतन असमानता आम है
- कार्यस्थलों पर शारीरिक शोषण की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं
उन्होंने कहा कि पश्चिमी आज़ादी का मतलब सिर्फ़ जिस्म की नुमाइश और भोग तक सीमित कर दिया गया है, जबकि इस्लाम ने महिला को सम्मान की बुनियाद पर खड़ा किया है।
“महिला नौकरानी नहीं, घर का फूल है”—हदीस का हवाला
आयतुल्लाह खामेनेई ने एक हदीस का संदर्भ देते हुए कहा:
“महिला नौकरानी नहीं है, वह फूल है। उसकी देखभाल करनी है। उसकी खुशबू पूरे घर को महकाती है। उसे सुरक्षा और इज़्ज़त दो, वह तुम्हें समृद्ध करेगी।”
उन्होंने कहा कि इस्लामी समाज में महिला को आगे बढ़ने, पढ़ने-लिखने, काम करने और अपनी पहचान बनाने का पूरा हक़ दिया गया है—लेकिन इज़्ज़त और हया की दहलीज़ को बनाए रखते हुए।
हिजाब—“दमन नहीं, सुरक्षा की ढाल”
खामेनेई ने स्पष्ट कहा कि हिजाब और पर्दा कानून किसी प्रकार का ज़बरदस्ती नहीं, बल्कि महिला की सुरक्षा और सम्मान का इस्लामी तरीका है। उनके मुताबिक—
- सड़क पर पुरुषों की भूखी निगाहों से सुरक्षा
- पहचान में शालीनता
- समाज में सम्मानजनक स्थान
— ये सभी हिजाब के मूल उद्देश्य हैं।
2022 का आंदोलन और नया कानून
2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में बड़े स्तर पर हिजाब-विरोधी आंदोलन भड़के थे। उसके बाद से हिजाब कानून को या तो खत्म करने या और सख्त बनाने पर बहस चल रही है।
सरकार अब एक नए कानून पर काम कर रही है, जिसमें—
- हिजाब न पहनने पर भारी जुर्माना,
- और संभवतः जेल की सजा का भी प्रस्ताव शामिल है।
खामेनेई के हालिया बयान से यह साफ हो गया है कि ईरान हिजाब कानून पर पीछे हटने के मूड में नहीं है।
ईरान में बहस फिर तेज
उनके बयानों के बाद ईरान में हिजाब को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। समर्थक इसे महिलाओं की सुरक्षा का ढाल बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मानते हैं।
लेकिन खामेनेई का संदेश साफ है—
“हिजाब दमन नहीं, महिलाओं की गरिमा, हिफ़ाज़त और इज़्ज़त का इस्लामी रास्ता है।”



