
बाज न्यूज नेटवर्क, जबलपुर। अंसारी समाज की मरकज़ी पंचायत ने एक अहम फैसला लेते हुए समाज के तमाम कार्यक्रमों — ख़ासकर शादियों और समाजी मौक़ों — में खड़े होकर खाना खिलाने की परंपरा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। पंचायत का कहना है कि इस्लाम में खड़े होकर खाना नापसंद है और यह मेहमान-नवाज़ी के शिष्टाचार के खिलाफ है।
अंसारी समाज की “सातों की कमेटी” के अध्यक्ष और वरिष्ठ सरदार जनाब अब्दुल हकीम बाबा ने बाज़ मीडिया को बताया कि अंसारी समाज ने इससे पहले भी कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं। करीब 30 साल पहले ही पंचायत ने शादियों और अन्य मौक़ों पर बैंड-बाजा, आतिशबाज़ी और गैर-ज़रूरी फ़िज़ूलखर्ची पर रोक लगा दी थी, और आज भी समाज उस फैसले पर अमल कर रहा है।
उन्होंने कहा अब नए फैसले में यह साफ कर दिया गया है कि:
- अंसार समाज में मेहमानों को सिर्फ बैठाकर ही खाना खिलाया जाएगा, चाहे वह दस्तरख़ान पर हो या कुर्सी-टेबल पर।
- दस्तरख़ान को चौड़ा (वसी) करने और मेहमानों को आराम से बिठाने की हिदायत दी गई है।
- समाज में अगर यदि किसी दावत में खड़े होकर खाना परोसा जा रहा हो तो समाज के लोग ऐसे कार्यक्रमों से दूरी बनाएँ और मेजबान के सामने नाराज़गी का इज़हार करें।
अब्दुल हकीम बाबा ने कहा:
“हमारे प्यारे नबी ﷺ ने फ़रमाया है कि दस्तरख़ान को वसी करो और बेहतर अंदाज़ में मेहमान-नवाज़ी करो। खड़े होकर खाना-पीना न सिर्फ़ इस्लाम में मना है बल्कि इससे सेहत को भी नुक़सान पहुँचता है। दावत में आए मेहमानों को खड़े-खड़े खिलाना न मेहमान-नवाज़ी है और न शरीअत के मुताबिक।”
उन्होंने आगे कहा कि बैठकर खाने से जहाँ मेहमानों की इज़्ज़त और आराम का ख्याल रखा जाता है, वहीं समाज की बेहतर छवि भी सामने आती है।
बाज़ मीडिया के सिटीजन जर्नलिस्ट सुल्तानुज्जमा कादरी से बातचीत में अब्दुल हकीम बावा ने साफ कहा कि यह कदम समाज के दीन और दुनियावी दोनों फायदे के लिए उठाया गया है। उन्होंने समाज के सभी लोगों और मीडिया चैनलों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि यह फैसला आने वाली पीढ़ियों को भी एक बेहतर और शरीअत-पसंद रास्ता दिखाएगा।
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समाज की प्रतिक्रिया
इस फैसले का समाज में व्यापक स्वागत किया जा रहा है। मरकज़ी पंचायत का कहना है कि पिछले तीन महीनों से लोग इस फैसले पर अमल करना शुरू कर चुके थे, अब इसे बाकायदा एलान कर दिया गया है।
ईद मिलादुन्नबी ﷺ और आने वाले सभी मौक़ों पर पंचायत ने समाज के लोगों से अपील की है कि इस फैसले का पूरी तरह पालन करें और मेहमानों की बेहतरीन मेहमान-नवाज़ी करें।
जबलपुर अंसारी समाज का यह कदम न सिर्फ़ धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह समाज को अनुशासन और सुधार की दिशा में आगे बढ़ाने वाला फैसला माना जा रहा है।