रोटी के बदले मौत : इंसान नहीं, जानवर समझा गया! गाज़ा में अमेरिका-इज़राइल की ‘मदद’ की खौफनाक सच्चा

जब किसी माँ की गोद सूनी हो जाए, जब बच्चे भूख से बिलखते हुए दम तोड़ दें, और जब इंसानियत बाड़ों में कैद होकर रोटी के एक टुकड़े के लिए भीड़ में कुचली जाए — तब सवाल सिर्फ राजनीति या कूटनीति का नहीं रह जाता, वो सवाल बन जाता है इंसान होने का।
गाज़ा में यही हो रहा है। वहाँ एक-एक निवाला ज़िंदगी और मौत के बीच का फ़ासला बन गया है। जहाँ कभी स्कूल और मस्जिदों की आवाज़ें गूंजती थीं, वहाँ अब मातम और चीखें सुनाई देती हैं।
मई के आखिरी हफ्ते में अमेरिका और इज़राइल समर्थित Gaza Humanitarian Foundation (GHF) ने गाज़ा में “मदद” के नाम पर राहत केंद्र खोले — लेकिन यह मदद नहीं, मौत की दावत बन गई। राहत की उम्मीद लेकर लाइन में खड़े सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों पर गोलियां बरसाई गईं, और सैकड़ों ज़िंदगियां वहीं खत्म हो गईं।
यह कहानी सिर्फ गाज़ा की नहीं, यह ज़ख्म है पूरे इंसानी जमीर का — और हम सबको इसे महसूस करना होगा।

9 जून 2025 | गाजा पट्टी में फिलहाल हालात बेहद गंभीर हैं। 2 मार्च को इज़राइल ने गाजा के मुख्य बॉर्डर क्रॉसिंग बंद कर दिए, जिससे खाने-पीने, दवाओं और मानवीय सहायता की सप्लाई पूरी तरह रुक गई। इसके बाद से वहां 23 लाख फ़िलिस्तीनियों की ज़िंदगी भूख और डर के साए में जी रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इज़राइल भूख को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
GHF राहत केंद्र: उम्मीद या धोखा?
27 मई को अमेरिका और इज़राइल समर्थित Gaza Humanitarian Foundation (GHF) ने गाजा के दक्षिणी शहर रफ़ा में अपना पहला राहत वितरण केंद्र शुरू किया। GHF का दावा है कि यह केंद्र गाज़ा में ज़रूरतमंदों तक खाना पहुंचाएंगे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों और खुद संयुक्त राष्ट्र ने इससे दूरी बना ली है।
GHF पर आरोप है कि यह केवल गाजा के दक्षिणी और मध्य हिस्सों में ही सीमित मात्रा में मदद दे रहा है, वो भी इस शर्त पर कि लोग मीलों चलकर आएं, पहचान पत्र दिखाएं और आंखों की स्कैनिंग करवाएं।
पूर्व निदेशक का इस्तीफ़ा और गंभीर आरोप
GHF के पूर्व कार्यकारी निदेशक जेक वुड ने संचालन शुरू होने से दो दिन पहले इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने कहा कि GHF का काम “मानवीय सिद्धांतों — मानवता, निष्पक्षता, स्वतंत्रता — के खिलाफ है।”
“जानवरों की तरह बाड़ों में ठूंसा गया”
GHF राहत केंद्रों की जो तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आई हैं, उनमें लोगों की भीड़ लोहे की बाड़ों में बंद दिखाई देती है, जिनके ऊपर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। गवाहों ने बताया कि इन बाड़ों में लोगों को इस तरह धकेला जाता है जैसे जानवरों को ले जाया जाता है। राहत केंद्र के अंदर हर किसी की पहचान और आंखों की स्कैनिंग की जाती है, जिससे प्रक्रिया और ज़्यादा अपमानजनक बन जाती है।
पूर्व UN अधिकारी क्रिस गननेस ने कहा, “गाजा को ‘मानव बूचड़खाने’ में बदल दिया गया है।”
GHF राहत केंद्र के पास गोलीबारी: 130 से ज़्यादा मौतें
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में GHF केंद्रों के पास खाना लेने पहुंचे 130 से ज़्यादा लोगों को इज़राइली सेना ने मार दिया और 1,000 से ज़्यादा लोग घायल हुए। 9 लोग अब भी लापता हैं।
गाज़ा सरकार के मीडिया कार्यालय ने इन केंद्रों को “मौत के जाल” और “मानव वध स्थल” करार देते हुए कहा कि यह युद्ध अपराध हैं और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की।
हमलों की समयरेखा: कब, कहां, कितने मरे
तारीख | जगह | मारे गए | घायल | लापता |
---|---|---|---|---|
27 मई | रफ़ा | 3 | 46 | 7 |
28 मई | रफ़ा | 10 | 62 | – |
1 जून | रफ़ा | 35 | 200 | – |
1 जून | गाज़ा वैली ब्रिज | 1 | 32 | 2 |
2 जून | रफ़ा | 26 | 92 | – |
3 जून | रफ़ा | 27 | 90 | – |
6 जून | रफ़ा | 8 | 61 | – |
8 जून | रफ़ा और गाज़ा वैली ब्रिज | 13 | 135 | – |
इज़राइल के बदलते बयान, और बढ़ता संदेह
इज़राइली सेना ने चार बार यह माना है कि उसने राहत लेने आए लोगों पर गोली चलाई, लेकिन हर बार अलग-अलग बयान दिए, जिससे भ्रम और बढ़ गया। एक बयान में तो कहा गया कि कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन रेड क्रॉस ने पुष्टि की कि सिर्फ रफ़ा में ही 21 शव उसके अस्पताल में लाए गए।
मानवाधिकार समूहों और जानकारों का कहना है कि इज़राइल सच छुपाने की कोशिश कर रहा है। यूरो-मेड ह्यूमन राइट्स मॉनिटर के डायरेक्टर रामी अब्दु ने कहा, “रफ़ा का नरसंहार दर्ज हो चुका है, झूठ से इसे नहीं छिपाया जा सकता।”
क्या चाहिए आगे?
गाज़ा की मौजूदा स्थिति एक मानवीय त्रासदी बन चुकी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग की जा रही है कि:
- GHF के राहत मॉडल को तुरंत रोका जाए।
- स्वतंत्र जांच हो कि लोगों की मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है।
- गाज़ा को तुरंत और बिना शर्त मानवीय मदद पहुंचाई जाए।