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War Updates: इजरायली हमलों से ईरान में भारी तबाही: तेहरान में 224 लोग मरे, जिंदगी थम सी गई

16 जून 2025, तेहरान – इजरायल के हवाई हमलों ने ईरान की राजधानी तेहरान और बाकी शहरों में कोहराम मचा दिया है। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 13 जून से शुरू हुए इन हमलों में 224 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज्यादातर औरतें और बच्चे हैं। तेहरान के लोग डर और बेबसी में जी रहे हैं, जहां हर पल धमाकों की आशंका बनी हुई है।

इजरायल ने तेहरान के रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया। चमरान मोहल्ले में एक इमारत ढहने से 20 बच्चे मलबे में फंस गए, जिनमें 10 अभी भी दबे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कहा, “तीन हमलों में ही 70 से ज्यादा औरतें-बच्चे मारे गए। इजरायल का दावा है कि वो फौजी ठिकानों को निशाना बना रहा है, लेकिन हकीकत में वो आम लोगों की जान ले रहा है।”

नोबोन्याद स्क्वायर, फरहजादी बुलेवार्ड और नरमक जैसे इलाकों में इमारतें खंडहर बन गईं। एक 14 मंजिला रिहायशी इमारत ढहने से 60 लोग मरे, जिनमें 29 बच्चे थे। एक शख्स ने बताया, “धुआं और धूल से सांस लेना मुश्किल है। हर तरफ चीख-पुकार है।”

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तबरेज़ और बाकी शहरों में नुकसान

तबरेज़ के हवाई अड्डे के पास धमाकों में 31 लोग मारे गए, जिनमें एक रेड क्रिसेंट वर्कर भी था। इस्फहान, अराक और केरमानशाह में फौजी और इंडस्ट्रियल ठिकानों पर हमलों से आम लोग भी मरे। नातांज़ के परमाणु प्लांट का ऊपरी हिस्सा तबाह हो गया, जिससे केमिकल और रेडियेशन का खतरा बढ़ गया। फोर्डो और इस्फहान के परमाणु ठिकानों को भी नुकसान हुआ। तेहरान के पास शाहरान फ्यूल डिपो और साउथ तेहरान की ऑयल रिफाइनरी में आग लगने से बिजली-पानी की सप्लाई ठप है।

डर में जी रहे लोग

तेहरान के लोग “फंस” गए हैं। रविवार को पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें लगीं, क्योंकि लोग शहर छोड़कर गांवों या छोटे शहरों की तरफ भागना चाहते थे। मगर भारी ट्रैफिक ने रास्ता रोक दिया। एक आदमी ने बीबीसी पर्सियन को बताया, “तेहरान अब सेफ नहीं है। कोई सायरन या वार्निंग नहीं मिलती। बस धमाके सुनाई देते हैं, और हम दुआ करते हैं कि हमारा घर बचे। मगर अब कोई जगह सेफ नहीं लगती।”

एक शख्स, जो किसी तरह दूसरे प्रांत पहुंचा, बोला, “मैं अभी भी समझ नहीं पा रहा कि मैं जंग के मैदान में हूं। ये मेरी लड़ाई नहीं है। मैं बस अपने परिवार को बचाना चाहता हूं।” एक औरत ने कहा, “हम छोटे शहरों में जाना चाहते हैं, मगर हमारे बुजुर्ग मां-बाप यहां फंसे हैं। हम उन्हें छोड़ नहीं सकते। ये सब हमारे साथ नाइंसाफी है।”

इजरायल की तरफ से कुछ लोगों को मैसेज मिले कि फौजी ठिकानों के पास की जगहें छोड़ दें। मगर एक शख्स ने पूछा, “हमें कैसे पता कि फौजी ठिकाना कहां है?” इंटरनेट बार-बार बंद हो रहा है, जिससे लोग अपने घरवालों से बात भी नहीं कर पा रहे।

1980 की जंग जैसा मंजर

एक औरत ने बताया कि ये मंजर उसे 1980 के ईरान-इराक जंग की याद दिलाता है। “उस वक्त कम से कम सायरन की आवाज सुनाई देती थी। अब तो कुछ नहीं। बस धमाके होते हैं।” नई पीढ़ी, जो जंग नहीं देखी, इस हादसे से सदमे में है। एक जवान लड़की ने कहा, “मैं अपने बुजुर्ग मां-बाप को छोड़कर शहर नहीं छोड़ सकती। मुझे काम पर भी जाना है। अब क्या करूं?”

ईरान का नेतृत्व

इस्लामिक क्रांति के लीडर आयतुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने 13 जून को नए फौजी कमांडर बनाए और कहा, “इजरायल की जिंदगी जहन्नम बन जाएगी।” ईरानी अफसरों ने कहा कि इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई तब तक चलेगी, जब तक जरूरी है।

इजरायली हमलों ने ईरान में 224 लोगों की जान ले ली और 1,481 लोग जख्मी हैं। तेहरान के मोहल्ले, परमाणु प्लांट और फ्यूल डिपो तबाह हो गए। लोग डर, थकान और बेबसी में जी रहे हैं। बाज़ मीडिया अपने पाठकों से इस इंसानी हादसे के खिलाफ आवाज उठाने और अमन की दुआ करने की गुजारिश करता है।

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