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Baz Health : 150 से ऊपर Triglyceride ? दिल का दौरा कभी भी पड़ सकता है – विशेषज्ञ की चेतावनी

Baz Health। भारत में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक इसका एक बड़ा कारण खून में ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) का लगातार उच्च स्तर है। लोग इसे अक्सर कोलेस्ट्रॉल जैसा मान लेते हैं, जबकि ट्राइग्लिसराइड असल में खून में पाई जाने वाली वसा (Fat) का एक अलग प्रकार है। यह शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत तो है, लेकिन जब इसका स्तर सामान्य सीमा से ऊपर चला जाता है, तो यह दिल और लिवर के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।


सामान्य और खतरनाक स्तर

विशेषज्ञ बताते हैं कि ट्राइग्लिसराइड का स्तर 150 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) से कम रहना चाहिए।

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  • 150–199 mg/dL : सीमा रेखा (Borderline High)
  • 200–499 mg/dL : उच्च स्तर (High)
  • 500 mg/dL से अधिक : बेहद खतरनाक (Very High)

500 mg/dL से ऊपर का स्तर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाशय में सूजन) और लिवर फेल्योर का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।


क्यों बढ़ता है ट्राइग्लिसराइड?

यह सिर्फ तैलीय भोजन से नहीं बढ़ता, बल्कि इसके कई छुपे कारण हैं:

  1. चीनी और मैदा का अधिक सेवन: मीठे पेय, पैकेज्ड जूस, सफेद ब्रेड, पेस्ट्री, कुकीज और सोडा सबसे बड़े दोषी हैं।
  2. शराब (Alcohol): थोड़ी मात्रा भी ट्राइग्लिसराइड को तेजी से बढ़ाती है।
  3. अनियंत्रित डायबिटीज: जब ब्लड शुगर लगातार ऊंचा रहता है तो शरीर अतिरिक्त शुगर को वसा में बदल देता है।
  4. मोटापा और पेट की चर्बी: कमर पर जमा फैट ट्राइग्लिसराइड को बढ़ाने का मुख्य कारण है।
  5. हार्मोनल असंतुलन: थायरॉयड की कमी, किडनी की बीमारी या कुछ दवाइयाँ (जैसे स्टेरॉइड्स) इसका स्तर बढ़ा सकती हैं।
  6. आनुवंशिक कारण: परिवार में अगर यह समस्या है तो जोखिम और बढ़ जाता है।

कैसे पहचानें बढ़ा ट्राइग्लिसराइड?

इसकी कोई स्पष्ट शारीरिक लक्षण नहीं होते। व्यक्ति सामान्य महसूस कर सकता है, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है। पहचान का एकमात्र तरीका है लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, जिसे हर साल एक बार ज़रूर कराना चाहिए—खासकर अगर परिवार में हार्ट डिजीज, मोटापा या डायबिटीज का इतिहास हो।

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स्वास्थ्य पर असर

  • दिल और धमनियां: खून में वसा जमा होकर आर्टरी को संकरा कर देती है (Atherosclerosis), जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
  • लिवर पर असर: फैटी लिवर डिजीज का खतरा, जो लंबे समय में सिरोसिस या लिवर फेल्योर तक पहुंच सकता है।
  • पैंक्रियास: बहुत अधिक स्तर पैंक्रियाटाइटिस का कारण बन सकता है।
  • मेटाबॉलिक सिंड्रोम: हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, हाई शुगर और असामान्य कोलेस्ट्रॉल का कॉम्बिनेशन।

ट्राइग्लिसराइड को कैसे करें कंट्रोल

1. आहार (Diet) में सुधार

  • फल और सब्जियां: फाइबर से भरपूर मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद।
  • साबुत अनाज: ओट्स, ब्राउन राइस, जौ, रागी।
  • प्रोटीन: दालें, लो-फैट दूध, टोफू, अंडे का सफेद हिस्सा।
  • सुपर फूड्स: ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य जैसे अलसी (Flaxseed), अखरोट, चिया सीड्स, और मछली का तेल (Fish Oil)।
  • सीमित करें: सफेद चीनी, मैदा, तले-भुने और पैकेज्ड फूड, शुगर ड्रिंक्स।

2. जीवनशैली में बदलाव

  • नियमित व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 5 दिन, 30–45 मिनट तेज वॉक, साइक्लिंग, स्विमिंग या योग।
  • वजन नियंत्रित करें: सिर्फ 5–10% वजन घटाने से भी ट्राइग्लिसराइड में 20–30% की कमी आ सकती है।
  • शराब और धूम्रपान छोड़ें: यह ट्राइग्लिसराइड को तेजी से बढ़ाते हैं।
  • पर्याप्त नींद: रोज़ाना 7–8 घंटे।
  • तनाव कम करें: ध्यान (Meditation) और प्राणायाम।

4. आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

  • लहसुन: रोज़ 2–3 कली कच्चा लहसुन खाने से खून में वसा घटती है।
  • त्रिफला चूर्ण: पाचन सुधरता है और वसा संतुलन में मदद करता है।
  • अर्जुन की छाल का काढ़ा: हार्ट हेल्थ के लिए लाभकारी।
  • मेथी दाना: रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड कम होते हैं।
  • ग्रीन टी और दालचीनी: एंटीऑक्सीडेंट गुण अतिरिक्त वसा को नियंत्रित करते हैं।

विशेषज्ञ की सलाह

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अनिल मेहरा के अनुसार,

“भारतीय खानपान में चीनी और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक हैं। लोग सोचते हैं कि तेल कम खाने से सब ठीक हो जाएगा, जबकि असल खतरा मीठे और मैदे में छिपा है। हर वयस्क को साल में कम से कम एक बार लिपिड प्रोफाइल टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए।”


निष्कर्ष

ट्राइग्लिसराइड का बढ़ा स्तर एक “साइलेंट हार्म” है जो बिना चेतावनी दिए हार्ट अटैक, स्ट्रोक और लिवर की गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है। अच्छी खबर यह है कि सही आहार, नियमित व्यायाम, समय पर जांच और संतुलित जीवनशैली अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

आपका आज का कदम—कल की जान बचा सकता है।

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