केंद्र ने कहा, रोंहिग्या मुसलमानों को बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं

देश में जहां एक तरफ सीएए को लेकर चर्चा का दौर जारी है। सरकार सारे तर्क दे रही है कि क्यों दूसरे देश के प्रताड़ित गैर मुस्लिमों को देश में नागरिकता देना जरूरी है। वहीं दूसरे तरफ केन्द्र सरकार यह तर्क भी दे रही है कि क्यों दूसरे देश से प्रताड़ित होकर आए मुसलमानों को नागरिकता तो दूर भारत में बसने देने का भी अधिकार नहीं है।
केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से साफ कह दिया है कि अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने वाले रोंहिग्या मुसलमानों को देश में बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं केंद्र ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों की एक सीमा है, और सुप्रीम कोर्ट उस हद को पार करके संसद की शक्तियों को कमतर नहीं कर सकता है। केंद्र सरकार ने कहा कि न्यायपालिका को संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत क्षेत्रों में प्रवेश करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग कैटिगरी बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
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दरअसल, याचिकाकर्ता प्रियाली सुर ने हिरासत में लिए गए रोहिंग्या की रिहाई की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों से विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटा जाएगा। सरकार ने कहा कि भारत ने १९५१ के शरणार्थी सम्मेलन और शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किया है और रोहिंग्या से अपने घरेलू कानूनों के अनुसार ही निपटेगा।
याचिकाकर्ता सुर ने तिब्बत और श्रीलंका के शरणार्थियों का हवाला देकर मांग की कि रोहिंग्याओं के साथ भी मोदी सरकार वैसा ही व्यवहार करे। इसका विरोध कर मोदी सरकार ने कहा, किसी भी वर्ग के लोगों को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी जाए या नहीं, यह एक शुद्ध नीतिगत निर्णय है।
सोर्स: भारत में रोहिंग्या को बसने का कोई अधिकार नहीं… केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को साफ-साफ बता दिया
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