
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में हाल के आतंकवादी हमलों में आतंकियों के पास अमेरिकी निर्मित एम4 राइफलों की मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है। कश्मीर में लगातार इन राइफलों की बरामदगी से यह सवाल उठने लगा है कि ये हथियार आतंकवादियों के पास कहां से आ रहे हैं। इन राइफलों का संबंध अफगानिस्तान से जोड़ा जा रहा है, जहां तालिबान के सत्ता में आने के बाद बड़ी मात्रा में अमेरिकी सैन्य उपकरणों का अधिग्रहण हुआ था। अब सुरक्षा एजेंसियों का शक है कि ये हथियार पाकिस्तान के माध्यम से कश्मीर तक पहुंच रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी और नाटो सेनाएं जब अफगानिस्तान में तैनात थीं, तो हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति पाकिस्तान के रास्ते काबुल तक हो रही थी। करांची और खैबर पख्तूनख्वा के जरिए इस सप्लाई चेन का उपयोग किया जा रहा था, जिससे इन हथियारों का एक हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों के हाथों में चला गया। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने इस स्थिति का फायदा उठाया और अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों को झूठी सूचनाएं देकर और नए हथियारों और संसाधनों की आपूर्ति जारी रखवाई।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद, अफगानिस्तान की खोस्त प्रोटेक्शन फोर्स (KPF), जिसे अफगान रक्षा मंत्रालय के 25वें डिवीजन के रूप में जाना जाता था, के पास भी एम4 राइफलें थीं। बताया जा रहा है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद इन राइफलों को पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों को बेच दिया गया। अब यह आशंका जताई जा रही है कि इन हथियारों को कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों तक पहुंचाया जा रहा है।
पाकिस्तान से आपूर्ति के संकेत
इस घटनाक्रम से एक गंभीर सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान इन हथियारों को आतंकियों तक पहुंचाने में मदद कर रहा है? कश्मीर में आतंकवादियों के पास अमेरिकी एम4 राइफलों के मिलने से सुरक्षा एजेंसियां यह मान रही हैं कि पाकिस्तान इस आपूर्ति में एक अहम कड़ी हो सकता है। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आलोचना का कारण बन सकती है, क्योंकि पाकिस्तान पर पहले भी आतंकवादियों को समर्थन देने का आरोप लग चुका है।
एम4 राइफल का महत्व
एम4 कार्बाइन राइफल, जो कि अमेरिकी सेना का प्रमुख हथियार है, विशेष रूप से हल्की और अत्यधिक सटीक मानी जाती है। यह राइफल युद्ध के मैदान में अमेरिकी सेना के लिए एक महत्वपूर्ण टूल है। एम4 की विशेषताएं इसे आतंकवादी समूहों के लिए भी एक आकर्षक हथियार बनाती हैं, क्योंकि यह कम वजन, उच्च सटीकता, और मजबूत फायर पावर प्रदान करती है।
कश्मीर में आतंकवाद की नई चुनौती
कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंकवादी हमले तेज हो गए हैं, और ऐसे समय में अमेरिकी निर्मित हथियारों का मिलना सुरक्षा बलों के लिए नई चिंता का विषय है। विशेष रूप से एम4 राइफलें आतंकवादियों के हाथ में होने से यह संभावना जताई जा रही है कि आतंकवादियों के पास अब ज्यादा आधुनिक और ताकतवर हथियार आ गए हैं, जो उनकी क्षमता को और बढ़ा सकते हैं।
पाकिस्तान का संदिग्ध रोल
इससे पहले भी पाकिस्तान पर आरोप लग चुके हैं कि वह आतंकवादी संगठनों को हथियारों और प्रशिक्षण की आपूर्ति करता है। कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान ने कई बार आतंकवादियों को समर्थन दिया है, जो भारत के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती है। इन नए हथियारों के सामने आने से यह सवाल और भी गंभीर हो गया है कि क्या पाकिस्तान इन हथियारों को जानबूझकर आतंकवादियों तक पहुंचा रहा है।
निष्कर्ष
कश्मीर में आतंकियों के पास अमेरिकी एम4 राइफलों का मिलना एक गंभीर चिंता का विषय है। यह न केवल कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के खतरे को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान के संभावित समर्थन को भी उजागर करता है। सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं, और यह देखना होगा कि आने वाले समय में पाकिस्तान के इस संदिग्ध कनेक्शन के बारे में और क्या खुलासे होते हैं।