
अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप निरंतर चर्चाओ मे बने हुए है। जहां ट्रंप एक के बाद एक बड़े निर्णय लेते देखे जा रहे है जिनमें जन्मसिध्द नागरिकता समाप्त करना, चीन पर टैरिफ लगाने पर विचार करना, अमेरिकी फर्स्ट की नीति जैसे निर्णय शामिल है। पर इन्ही सब के बीच ट्रंप के एक निर्णय को तालिबान के सामने झुकनें के रुप मे देखा जा रहा है।
ट्रंप के इस फैसले की चर्चा दुनिभर भर मे हो रही है जिसमें ट्रंप ने अल-कायदा के मुखिया रहे ओसामा बिन लादेन के करीबी साथी खान मोहम्मद को रिहा करने का निर्णय लिया है। जिसके बदले तालिबान ने भी दो अमेरिकी नागरिको की रिहाई का निर्णय लिया है। बतो दें की ये अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान की जेल मे कैद थे । वही ओसामा बिन लादेन के करीबी साथी खान मोहम्मद अमेरिका के कैलिफोर्निया की ग्वांतानामो बे जेल मे बंद थे जहां कोर्ट ने उन्हे अजीवन करावास की सजा सुनाई थी । पर इस समझौते के तहत अब दोनो ही देशो ने एक दूसरे के कैदियो को रिहा कर दिया गया है। ये समझौता तालिबान व संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य चली व्यापक वार्ता का परिणाम माना जा रहा है।
हालंकि तालिबान लादेन के साथी खान मोहम्मद के साथ साथ पाकिस्तानी नागिरक डॉ. आफिया की भी रिहाई चाहता था। जो की काफी लम्बे अरसे से अमेरिकी जेल मे बंद है पर इस समझौते मे उनकी रिहाई पर बात नही बन सकी। तालिबान ने आफिया की रिहाई मे पाकिस्तानी सेना के वरिष्ट अधिकारियों व नेताओं को रोढ़ा बताया तालिबान का आरोप है की पाकिस्तानी सेना के कुछ वरिष्ट अधिकारी व नेता चाहते है की आफिया की रिहाई न हो सके। भले ही तालिबान डॅा. आफिया की रिहाई करवा पाने मे कामयाब न हो पाया हो पर तालिबान अपने देश के नागरिक खान मोहम्मद की रिहाई करवाने मे कामयाब रहा जिसें वह अपनी कामयाबी व जीत के तौर पर मान रहा है।
दरअसल इस समझौते का प्रयास राष्ट्रपति बाइडेन के समय से हो रहा था परंतु बाइडन की नीति स्पष्ट थी की वह किसी भी कीमत पर तालीबान से कोई भी समझौता नही करेंगे न ही वह किसी कैदी को रिहा करेंगे। खासकर बाइडन लादेन के साथी खान मोहम्मद को रिहा करने के पक्ष मे बिल्कुल भी नही थे पर ट्रंप ने सत्ता मे आते ही बाइडन की नीति को उलट कर रख दिया और दो अमेरिकी नागरिको की रिहाई के बदले खान मोहम्मद को रिहा करने वाली तालिबान की शर्त स्वीयकार कर समझौता कर लिया। ट्रंप के इस फैसले के विशेषज्ञ अलग अलग मतलब निकाल रहे है कही कुछ इन्हे ट्रंप का रणनितिक कदम बता रहे है तो कुछ इसे भारी भूल बता रहे है। हालंकि ट्रंप के इस फैसले के क्या दूरगामी परिणाम होगें ये तो समय ही बतायेंगा फिलहाल दोनो ही देश अपने नागरिको की रिहाई करवा कर संतुष्ट है।