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हिजबुल्ला लड़ाकों पर पेजर अटैक में ताइवान के नागरिक या कंपनियों की कोई भूमिका नहीं: ताइवान सरकार

ताइपे। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा हिजबुल्ला लड़ाकों पर पेजर अटैक करवाने की बात स्वीकारने के बाद ताइवान की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे थे। इस मामले में ताइवान सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसने सितंबर में लेबनान में हुए पेजर विस्फोटों की जांच बंद कर दी है और इसमें ताइवान के किसी नागरिक या कंपनी की कोई भूमिका नहीं है।

16 और 17 सितंबर को लेबनान और सीरिया के कुछ हिस्सों में विस्फोटकों से भरे हुए हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी फट गए थे। इन पेजरों पर यह दावा किया जा रहा था कि ये ताइवान की गोल्ड अपोलो नाम की कंपनी ने बनाए थे, क्योंकि पेजरों पर इस कंपनी का नाम लिखा हुआ था। हालांकि, गोल्ड अपोलो ने इस आरोप को नकारते हुए कहा कि उसने ये पेजर नहीं बनाए हैं। इस पर ताइवान सरकार ने जांच शुरू की थी, लेकिन अब सरकार ने इस जांच को बंद कर दिया है और साफ किया है कि इसमें ताइवान के किसी नागरिक या कंपनी का कोई संबंध नहीं है।

हालांकि, ताइवान सरकार के इस बयान में एक उलझन भी नजर आती है। ताइपे के अभियोजकों ने बताया कि लेबनान में विस्फोट करने वाले एआर-924 पेजर मॉडल का निर्माण और शिपिंग एक फर्म द्वारा किया गया था, जिसे ‘व्यापार और शिपिंग फ्रंटियर ग्रुप एंटिटी’ कहा जाता है, और यह पेजर ताइवान के बाहर बने थे। इसके अलावा, गोल्ड अपोलो ने किसी अन्य कंपनी को अपोलो ट्रेडमार्क का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया था।

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इससे यह सवाल उठता है कि ताइवान सरकार भले ही अपनी कंपनी को इस घटना से बाहर कर रही हो, लेकिन पेजर का निर्माण और विस्फोट ताइवान से जुड़े एक सहयोगी द्वारा किया गया था, जिसने ट्रेडमार्क का गलत तरीके से इस्तेमाल किया।

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