कोदो के फंगस से हुई उमरिया में 10 हाथियों की मौत, आईसीएआर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

उमरिया। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में 10 हाथियों की रहस्यमयी मौत का कारण सामने आया है। आईसीएआर-इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई), बरेली की एक विस्तृत रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन हाथियों की मौत किसी बाहरी जहरीले पदार्थ के कारण नहीं, बल्कि कोदो फसल में पाए जाने वाले एक खतरनाक फंगस के कारण हुई है। इस फंगस से उत्पन्न जहरीला तत्व, साइक्लोपियाजोनिक एसिड, हाथियों के शरीर में पाया गया, जो उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।
क्या कहती है आईवीआरआई की रिपोर्ट?
2 नवंबर को टाइगर रिजर्व द्वारा मृत हाथियों के विभिन्न अंगों और पेट की सामग्री को परीक्षण के लिए भेजा गया था। इनमें लिवर, किडनी, तिल्ली, दिल, फेफड़े, पेट और आंतें शामिल थीं। इन नमूनों में सामान्य जहरीले तत्वों की जांच की गई, जैसे साइनाइड, नाइट्रेट-नाइट्राइट, भारी धातु, और विभिन्न कीटनाशक। जांच में इन सभी तत्वों की उपस्थिति के संकेत नहीं मिले। हालांकि, सभी नमूनों में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाया गया, जो 100 पीपीबी से अधिक मात्रा में था। इस अत्यधिक मात्रा ने साफ कर दिया कि मौत का कारण कोदो फसल में उगने वाले फंगस का जहर था, जिससे यह एसिड उत्पन्न होता है।
हाथियों ने खाया था दूषित कोदो
रिपोर्ट के अनुसार, संभवतः इन हाथियों ने बड़ी मात्रा में कोदो के पौधे या इसके बीज खाए थे। इस फसल में मौजूद फंगस से उत्पन्न जहरीला साइक्लोपियाजोनिक एसिड उनके शरीर में घातक मात्रा में प्रवेश कर गया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह फंगस जंगलों में उगने वाले कोदो के पौधों में पनपने की संभावना होती है और हाथियों के लिए अत्यंत हानिकारक साबित हुआ है।
अन्य वन्यजीवों और घरेलू पशुओं के लिए भी खतरा
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि कोदो फसल में फंगस का संक्रमण केवल हाथियों के लिए ही नहीं, बल्कि आसपास के अन्य वन्यजीवों और घरेलू पशुओं के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। इस प्रकार का संक्रमण वन्यजीवों के साथ-साथ किसानों के पशुओं को भी प्रभावित कर सकता है। यदि इस पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई, तो यह फंगस अन्य पशुओं की जान के लिए भी खतरा बन सकता है।
आईवीआरआई के सुझाव और एहतियाती कदम
आईवीआरआई ने इस स्थिति से निपटने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें सबसे प्रमुख सुझाव प्रभावित खेतों का सर्वेक्षण करना और फंगस से संक्रमित कोदो फसल के अवशेषों को नष्ट करना है। इसके अलावा, यह भी सिफारिश की गई है कि इन क्षेत्रों में जानवरों के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। संस्थान ने किसानों और पशुपालकों को इस समस्या के प्रति जागरूक करने पर भी जोर दिया है, ताकि वे अपने पशुओं को इन खेतों से दूर रख सकें और इस प्रकार के संक्रमण से बचा सकें।
फंगस की समस्या पर बढ़ती चिंता
यह घटना वन्यजीव संरक्षण और कृषि में फसलों के संक्रमण पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत से स्पष्ट है कि जंगलों में फसलों पर फंगस का अनियंत्रित प्रसार वन्यजीवों के जीवन के लिए घातक हो सकता है। इस स्थिति में वन विभाग, कृषि विभाग, और स्थानीय प्रशासन को मिलकर फसल संक्रमण के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी होगी, ताकि हाथियों जैसी दुर्लभ प्रजातियों की जान बचाई जा सके और किसी भी प्रकार की और अधिक हानि से बचा जा सके।
भविष्य के लिए सतर्कता की आवश्यकता
इस दुखद घटना ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े अधिकारियों और शोधकर्ताओं को सतर्क कर दिया है। कोदो जैसी स्थानीय फसलों में फंगस की मौजूदगी को नियंत्रित करना और जंगलों में इसे फैलने से रोकना जरूरी है। उम्मीद है कि आईवीआरआई के सुझावों के आधार पर प्रशासन और स्थानीय किसान इस संकट से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे और इस प्रकार के खतरों से अपने वन्यजीवों और पशुओं को सुरक्षित रख पाएंगे।