नई दिल्ली। रोजगार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि मुफ्त में राशन बांटना कोई समाधान नहीं है। बेहतर होगा की श्रमिकों और युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के विकल्प खोजे जाएं। मुफ्त की रेवडियों से किसी का भला होने वाला नहीं है।
सीधे तौर पर प्रवासी मजदूरों से जुड़े एक मामले में वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ई-श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत मजदूरों को मुफ्त राशन मिलना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्त राशन देने के बजाय हमें इन मजदूरों के लिए रोजगार के मौके और कौशल निर्माण पर काम करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, फ्रीबीज़ कब तक दिए जाएंगे? क्यों न हम इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम करें? कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि राशन का वितरण एक अस्थायी समाधान हो सकता है, जबकि रोजगार और कौशल विकास से एक स्थायी समाधान मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों द्वारा मुफ्त सुविधाओं की वितरण नीति पर गंभीर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि फ्री की रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी, और यह भी कि क्या अब समय नहीं आ गया है कि सरकारें रोजगार के अवसरों पर ध्यान दें। कोर्ट ने खासकर कोविड महामारी के बाद प्रवासी मजदूरों को दी जा रही मुफ्त राशन की सुविधा को लेकर चिंता जताई और सुझाव दिया कि इस समस्या का स्थायी समाधान रोजगार के अवसरों के निर्माण और कौशल विकास में है।
कोर्ट ने इस बात पर भी टिप्पणी की कि यदि राज्य सरकारों को आदेश दिया जाता है कि वे सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दें, तो वे इसे केंद्र सरकार की जिम्मेदारी मानते हुए कार्रवाई करने से बच सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, जैसे ही हम राज्यों को आदेश देंगे कि वे सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दें, कोई भी यहां नहीं दिखाई देगा। वे भाग जाएंगे। राज्यों को यह पता है कि यह जिम्मेदारी केंद्र की है, इसीलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं।
वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र अभी भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है, जबकि 2021 की जनगणना होनी चाहिए थी। उनका कहना था कि इससे प्रवासी मजदूरों की सही संख्या और उनकी वास्तविक जरूरतों का पता नहीं चल पा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कहा, हम केंद्र और राज्यों के बीच मतभेद नहीं पैदा करें, क्योंकि ऐसा करने से स्थिति और भी जटिल हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया कि वे प्रवासी मजदूरों के लिए राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करें। इस प्रक्रिया से मजदूरों को केंद्र की मुफ्त राशन योजनाओं का लाभ मिलेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों को अपनी जिम्मेदारियों से भागने की बजाय प्रवासी मजदूरों के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए।