डिजिटल अरेस्ट से प्रदेश को बचाने के लिए ‘विधायक अभिलाष पांडे ने विधानसभा में उठाई आवाज’, बोले सख्त कानून की आवश्यकता

मध्यप्रदेश विधानसभा में जबलपुर उत्तर मध्य के विधायक डॉ. अभिलाष पांडे ने डिजिटल अरेस्ट और सायबर फ्रॉड जैसे गंभीर मुद्दों को उठाकर प्रदेशवासियों की सुरक्षा और जागरूकता के प्रति अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया। उनका यह प्रयास सराहनीय है, क्योंकि डिजिटलीकरण के इस युग में जहां साइबर अपराधियों का नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है, डॉ. पांडे ने सरकार से कड़े कानूनों की मांग करके इस समस्या के समाधान की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है।

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, जबलपुर उत्तर मध्य के विधायक डॉ. अभिलाष पांडे ने डिजिटल अरेस्ट और सायबर फ्रॉड से जुड़े गंभीर मुद्दे को विधानसभा में उठाया। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि डिजिटलाईजेशन की बढ़ती रफ्तार के साथ-साथ सायबर क्राइम भी तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है।
क्या बोले डॉक्टर अभिलाष पांडेय…
विधायक डॉ. पांडे ने सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि डिजिटल अपराधियों द्वारा डाटा लीक और अन्य साइबर अपराधों का सामना प्रदेशवासियों को करना पड़ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर वह कौन लोग हैं जो सायबर अपराधियों को डाटा लीक कर रहे हैं और इन अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं। डॉ. पांडे ने इस पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित किया और डिजिटल अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान बनाने की बात की।
विधायक ने इस बात पर भी जोर दिया कि आजकल साइबर अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई और ईडी का अधिकारी बताकर आम लोगों को डराते हैं और उनसे रकम ऐंठते हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इस प्रकार के अपराधों के शिकार केवल सामान्य लोग ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे व्यक्ति भी हो रहे हैं। इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिए पांडे ने सरकार से पुलिस मित्र योजना की शुरुआत करने का आग्रह किया, जिससे आम आदमी का पुलिस पर विश्वास बढ़े और जागरूकता फैले।
डॉ. पांडे ने यह भी सवाल किया कि आखिर कौन लोग हैं जो साइबर अपराधियों को डाटा लीक कर रहे हैं और इस पर नियंत्रण पाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम के लिए साइबर विशेषज्ञों की नियुक्ति जरूरी है, ताकि अपराधियों का समुचित तरीके से मुकाबला किया जा सके।
विधायक पांडे ने यह भी बताया कि प्रदेश के गृह मंत्रालय के जिम्मेदार मंत्री और प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री के कड़े और प्रभावी निर्णयों की सराहना करते हुए, पांडे ने विश्वास जताया कि मप्र सरकार जल्द ही इस दिशा में सख्त कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों के मामले में कानून में संशोधन करके उन्हें सख्त बनाना आवश्यक है, ताकि अपराधियों के मन में डर पैदा हो और वे इस प्रकार के अपराधों को अंजाम देने से पहले दो बार सोचें।
डिजिटल अपराधों के बढ़ते प्रभाव के बीच यह कदम महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि सायबर क्राइम के मामलों में समय-समय पर विभिन्न तरह की नकेल डालने की जरूरत महसूस हो रही है। इस मुद्दे पर सरकार की तत्परता और विधायकों का सक्रिय ध्यान भविष्य में मध्यप्रदेश के डिजिटल सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने में सहायक हो सकता है।