JabalpurNews

47 सौ करोड़ पर खामोशी, 25 करोड़ पर तमाशा: बिजली विभाग की हजारों कनेक्शन काटने की कार्यवाही सवालां के घेरे में आई

बीते दिनों जबलपुर में बिजली विभाग ने 25 करोड़ के बकाये पर हायतौबा मचाते हुये 7 हजार से ज्यादा घरों के बिजली कनेक्शन काट दिये और 80 हजार से ज्यादा कनेक्शन काटने की तैयारी की बात कही. जिसके बाद बिजली विभाग पर दोहरी नीते के आरोप लग रहे हैं.

कोविड राहत के दौरान स्थगित किए गए बिजली बिलों की वसूली को लेकर विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते जा रहे हैं। जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने विद्युत अधिकारियों पर दोहरे मापदंड अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है। मंच के अध्यक्ष डॉ. पी.जी. नाजपांडे ने कहा कि जब सरकार 4700 करोड़ रुपये की बकाया राशि दो साल बीतने के बाद भी बिजली कंपनियों को नहीं दे पाई है, तब आम नागरिकों से महज 25 करोड़ रुपये की वसूली के लिए जो हायतौबा मचाई जा रही है, वह अन्यायपूर्ण है।

सरकार की चुप्पी, विभाग की सख्ती

विज्ञापन

डॉ. नाजपांडे ने स्पष्ट किया कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने बिजली बिल माफी की घोषणा की थी। इससे बिजली कंपनियों को 4700 करोड़ का नुकसान हुआ, जो आज तक सरकार ने नहीं चुकाया। इसके बावजूद पूरे शासन तंत्र में इस पर सन्नाटा पसरा है। दूसरी ओर जबलपुर के 7151 घरेलू उपभोक्ताओं से 25 करोड़ रुपये की वसूली के लिए बड़े पैमाने पर बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं, मीटर उखाड़े जा रहे हैं, और उपभोक्ताओं को मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।

बिजली अधिनियम की धारा 65 का उल्लंघन

डॉ. नाजपांडे ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 65 के अनुसार यदि सरकार उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की रियायत देती है तो उसकी लागत की राशि अग्रिम रूप से बिजली कंपनियों को देनी होती है। लेकिन राज्य सरकार ने न सिर्फ इस अधिनियम का उल्लंघन किया, बल्कि आज तक राशि का भुगतान भी नहीं किया, जिससे कंपनियों का वित्तीय संतुलन बिगड़ गया है।

चुनाव आयोग भी दे चुका है चेतावनी

डॉ. नाजपांडे ने बताया कि पूर्व में भी जब मुफ्त बिजली योजना लाई गई थी, तो उन्होंने इस पर केंद्रीय चुनाव आयोग में याचिका दायर की थी। आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि यह योजना धारा 65 का उल्लंघन करती है और चुनावी लाभ के लिए लायी गई है।

रेट बढ़ने का बोझ आम आदमी पर

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के रजत भार्गव, एडवोकेट वेदप्रकाश अधौलिया, डी.आर. लखेरा, सुशीला कनौजिया, गीता पांडे और राममिलन शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से भुगतान नहीं होने की वजह से बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं, और यह बोझ सीधे आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है।

मंच की मांगें

मंच ने सरकार से मांग की है कि—

  1. तत्काल 4700 करोड़ की राशि बिजली कंपनियों को दी जाए।
  2. जब तक यह राशि नहीं दी जाती, उपभोक्ताओं से वसूली और मीटर कटौती की कार्रवाई रोकी जाए।
  3. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 65 का पूरी तरह पालन किया जाए।

डॉ. नाजपांडे का यह बयान विद्युत विभाग और सरकार के कामकाज को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब सरकार चुनाव पूर्व की घोषणा पर खुद अमल नहीं कर पा रही है, तो आम नागरिकों से इस कड़ाई की क्या नैतिकता है? यह मामला सिर्फ वित्तीय नीति नहीं, बल्कि नीतिगत जवाबदेही का भी है।

Jabalpur Baz

बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
Back to top button

You cannot copy content of this page