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सहारनपुर में निर्माणाधीन मस्जिद ढहाई गई, मुस्लिम समुदाय में आक्रोश | नोटिस पर उठा सवाल

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले के नकुड़ ब्लॉक के भोजपुर गाँव में एक निर्माणाधीन मस्जिद को ज़िला पंचायत प्रशासन ने 29 मई को बुलडोज़र चलवाकर गिरा दिया।

यह मस्जिद पिछले एक साल से बन रही थी और हाल के एक महीने से निर्माण कार्य रुका हुआ था। घटना को लेकर स्थानीय मुस्लिम समुदाय में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के मस्जिद को ढहा दिया


🔴 क्या है मामला?

भोजपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान वाजिद अली ने Maktoob से बात करते हुए बताया कि कुछ समय पहले SHO ने निर्माण रुकवाया था, यह कहते हुए कि नक्शे की स्वीकृति और अन्य काग़ज़ात पूरे नहीं हैं

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इसके बाद ग्रामीणों ने ज़िला पंचायत अध्यक्ष से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि उन्हें ऐसे मामलों में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है और जिलाधिकारी (DM) से संपर्क करने को कहा

फरवरी 2025 में ग्रामीणों ने DM कार्यालय में आवेदन दिया लेकिन कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला। मौखिक रूप से उन्हें अपर मुख्य अधिकारी (AMA) से संपर्क करने को कहा गया। AMA ने कथित रूप से कहा:

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“यह एक छोटा धार्मिक ढांचा है, आप लोग इसे बना सकते हैं।”


🔨 29 मई की सुबह – तीन बुलडोज़र, भारी पुलिस बल और ढहाई गई मस्जिद

सुबह 11 बजे SDM सदर सुबोध कुमार, ASP मनोज यादव, ज़िला पंचायत के जेई आदेश कुमार और अन्य अधिकारियों के साथ तीन बुलडोज़र और RRF बल लेकर आए और मस्जिद को ढहा दिया

पूर्व प्रधान वाजिद अली का दावा है कि इस पूरे प्रकरण में कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया


📜 SDM का पक्ष और विवाद

SDM सुबोध कुमार ने मीडिया को दिए बयान में कहा:

“मस्जिद निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली गई थी, इसलिए निर्माण अवैध था। नोटिस दिया गया था लेकिन पालन नहीं हुआ, इसलिए ढहाया गया।”

हालांकि, जब पत्रकारों ने नोटिस की तारीख पूछी, तो SDM ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया


⚖️ क्या था SHO की रिपोर्ट में?

7 मई 2025 को SDM ने गाँव के 11 लोगों को नोटिस जारी किया था, जिसमें लिखा था कि SHO की रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद निर्माण से “शांति भंग होने की आशंका” है और BNSS की धारा 126/135/170 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।


🕌 क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल है?

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि प्रशासन ने बिना नोटिस के ढांचा गिराया और 1863 के Religious Endowments Act के तहत धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए कोई विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होती।

ज़िला पंचायत के सदस्य माजिद अली ने बताया कि स्थानीय मुसलमान वहाँ नमाज़ अदा कर रहे थे, और दो भाइयों ने 2023 में इस मस्जिद के लिए ज़मीन दान की थी। शुरू में टीन शेड के नीचे नमाज़ होती थी और अब निर्माण कार्य चल रहा था।

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