ईरान-इसराईल जंग का दूसरा हफ्ता: यूरोप चुप, तेहरान जल रहा है, मुस्लिम उम्मत खामोश क्यों ?

ईरान और इसराईल के बीच जारी भीषण टकराव अब दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका है। इसराईल ने जुमे की रात और सनीचर सुबह ईरान के दर्जनों ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिनमें मिसाइल उत्पादन कारखाने, अस्पताल और रिहायशी इलाक़े शामिल हैं। जवाब में ईरान ने दक्षिणी इसराईली शहर बीरशेबा और उत्तरी शहर हैफा पर मिसाइलों की बौछार कर दी, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
इसराईली हमले में तेहरान में एक और ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की मौत की पुष्टि इसराईली मीडिया ‘कान’ ने की है। यह वैज्ञानिक कौन थे, अभी तक पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। माना जा रहा है कि 13 जून को शुरू हुए इसराईली हमलों के बाद से मारे गए यह चौथे वैज्ञानिक हैं।

तेहरान का दिल बना टारगेट
ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी के अनुसार, तेहरान के गीशा इलाके में एक रिहायशी इमारत को ड्रोन हमले में उड़ाया गया। इसके अलावा, शहर के एक प्रमुख अस्पताल को भी मिसाइल ने निशाना बनाया—यह इस सप्ताह का तीसरा मेडिकल सेंटर है जो इसराईली हमलों में तबाह हुआ है। छह एम्बुलेंसें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुईं, हालांकि किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।
वहीं, ईरान के पश्चिमी प्रांत करमानशाह में एक मेडिकल क्लीनिक को भी पूरी तरह तबाह कर दिया गया।

तेहरान से बीरशेबा तक बम ही बम
ईरानी मिसाइल हमलों में बीरशेबा में इसराईल की सैन्य टेलीकम्यूनिकेशन यूनिट और माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस को नुकसान पहुंचा। शहर का सेंट्रल रेलवे स्टेशन अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। कम से कम 7 लोग घायल हुए, जिनमें अधिकतर हल्के रूप से घायल थे।
इसके अलावा हैफा में हुए हमलों में 23 लोग घायल हुए। इसराईल की इमरजेंसी सेवा ‘मगन डेविड अदोम’ के अनुसार, कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
इसराईली रक्षा मंत्री ने दिया खुला ऐलान
इसराईल के रक्षा मंत्री योआव गैलांट ने बयान जारी करते हुए कहा:
“हमें तेहरान में शासन के हर प्रतीक और दमन तंत्र को तबाह करना है — फिर चाहे वो बसीज मिलिशिया हो या रिवॉल्यूशनरी गार्ड।”
इरानी अवाम का ग़ुस्सा: अमरीका-इसराईल मुर्दाबाद
इन हमलों के बावजूद, शुक्रवार की नमाज़ के बाद लाखों इरानी राजधानी तेहरान की सड़कों पर उतर आए। हाथों में बैनर और झंडे लिए लोग अमेरिका और इसराईल के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
सियासत और डिप्लोमेसी की पटरी से उतरी बात
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची, जो जिनेवा में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के विदेश मंत्रियों से मिल रहे थे, उन्होंने कहा:
“अगर हमले बंद किए जाएं और इसराईल को उसके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए, तो ईरान फिर से बातचीत के लिए तैयार है।”
अराकची ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भाषण देते हुए कहा:
“15 जून को अमेरिका के साथ एक शांतिपूर्ण समझौते की उम्मीद थी, लेकिन इसराईल ने बमबारी करके उस उम्मीद को तोड़ डाला।”
ईरान का साफ संदेश: बातचीत तब होगी जब बम नहीं गिरेंगे
तेहरान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फवाद इज़ादी का कहना है:
“जब बम गिर रहे हों, तो कोई मुल्क बातचीत नहीं कर सकता। इसराईल एक हाथ से हमला करता है और दूसरे से शांति की बात—यह दोगलापन है।”
हालांकि अराकची की जिनेवा में मौजूदगी इस बात का संकेत भी है कि ईरान कूटनीति का दरवाज़ा पूरी तरह बंद नहीं कर रहा।
IAEA की चेतावनी: ‘बुशेहर परमाणु संयंत्र पर हमला’ विनाशकारी होगा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को चेतावनी देते हुए IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने कहा:
“अगर इसराईल ने ईरान के बुशेहर न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बनाया, तो पूरा क्षेत्र रेडियोधर्मी तबाही की चपेट में आ सकता है।”
ईरान और इसराईल के बीच चल रही ये जंग अब किसी एक शहर या देश की बात नहीं रह गई है। यह टकराव अब पूरे वेस्ट एशिया को अपनी चपेट में लेने की ओर बढ़ रहा है। सवाल सिर्फ यह नहीं है कि कौन सही और कौन ग़लत है—सवाल यह है कि क्या इंसानियत और डिप्लोमेसी की कोई गुंजाइश बाकी है या नहीं?