बरेली दौरे से पहले सपा सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क नज़रबंद, प्रदेश में बढ़ी सियासी सरगर्मी

संभल/बरेली। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क को शनिवार सुबह उनके नियोजित बरेली दौरे से पहले संभल में ही नज़रबंद कर दिया गया। पुलिस ने उनके आवास के बाहर भारी फोर्स तैनात कर रखी है। बताया जा रहा है कि सपा के प्रतिनिधिमंडल को बरेली में “आई लव मुहम्मद” पोस्टर विवाद और उसके बाद भड़की हिंसा के बीच हालात का जायजा लेने के लिए जाना था।
सूत्रों के मुताबिक, यह प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ नेता माता प्रसाद के नेतृत्व में 13 अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बरेली जाने वाला था। लेकिन यात्रा से पहले ही ज़ियाउर्रहमान बर्क को घर पर नज़रबंद कर दिया गया। उनके सहयोगी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “उन्हें आज यात्रा करनी थी, लेकिन कल शाम से ही पुलिस ने उनके आवास के बाहर पहरा बढ़ा दिया। आज सुबह उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई।”
प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला दिया
अधिकारियों ने इस कदम को कानून-व्यवस्था की स्थिति से जोड़ा है। बरेली में हाल ही में हुए तनाव और हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने किसी भी प्रकार की राजनीतिक यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
दरअसल, पिछले सप्ताह “आई लव मुहम्मद” पोस्टरों के प्रसार को लेकर बरेली में विरोध-प्रदर्शन हुए थे, जो हिंसा में बदल गए। इसके बाद राज्यभर में पुलिस ने सख्त कार्रवाई शुरू की। मुस्लिम समुदाय के कई युवकों और नाबालिगों को पुलिस द्वारा कथित तौर पर घरों से उठा ले जाने के आरोप लगे हैं। परिजनों का कहना है कि बिना किसी आधिकारिक सूचना के गिरफ्तारियां की जा रही हैं।
बुलडोज़र कार्रवाई पर भी विवाद
पुलिस पर मुसलमानों की संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाने और उन्हें ज़ब्त करने के भी आरोप लगे हैं। विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई को “सामूहिक दंड” बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि एक वर्ग को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है।
सरकार का सख़्त रुख
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोहराया है कि हिंसा भड़काने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ “कड़ी और निर्णायक कार्रवाई” का ऐलान किया है।
सियासी टकराव की आशंका
सपा नेताओं के बरेली दौरे पर रोक और सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क की नज़रबंदी ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार असहमति की आवाज़ों को दबाने के लिए प्रशासनिक ताक़त का दुरुपयोग कर रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति में और तनातनी बढ़ सकती है।