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मध्यप्रदेश भाजपा को मिला नया चेहरा: हेमंत खंडेलवाल बने प्रदेशाध्यक्ष, सीएम मोहन यादव की पसंद पर लगी मुहर

भोपाल, 01 जुलाई । मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी को आखिरकार अपना नया संगठन प्रमुख मिल गया है। बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत विजय खंडेलवाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति निर्विरोध हुई, जिसमें न तो किसी अन्य नेता ने नामांकन दाखिल किया और न ही संगठन के भीतर किसी तरह की खींचतान सामने आई। इससे यह स्पष्ट हो गया कि खंडेलवाल का चयन पार्टी नेतृत्व के पूर्ण सामंजस्य और रणनीतिक सोच का परिणाम है।


📌 चयन की प्रक्रिया: मंच से मिले संकेत, संगठन की सहमति

प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया सोमवार को उस समय निर्णायक मोड़ पर पहुंची, जब भाजपा कार्यालय के सभागार में प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इशारा किया। इशारे के बाद मुख्यमंत्री मंच के सामने पहली पंक्ति में बैठे हेमंत खंडेलवाल के पास पहुंचे और उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें मंच की ओर लेकर गए। मंच पर केंद्रीय पर्यवेक्षक सरोज पांडे, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, और सांसद विवेक शेजवलकर की उपस्थिति में खंडेलवाल ने नामांकन पत्र दाखिल किया।

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इस नामांकन के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी नेतृत्व ने खंडेलवाल के नाम पर सर्वसम्मति बना ली है। किसी अन्य नेता ने नामांकन दाखिल नहीं किया, जिससे उनका निर्विरोध अध्यक्ष बनना तय हो गया। हालांकि पार्टी उनके नाम की औपचारिक घोषणा बुधवार को करेगी।


👤 हेमंत खंडेलवाल: एक संतुलित, अनुभवी और संयमित चेहरा

हेमंत खंडेलवाल भाजपा के लिए कोई नया नाम नहीं हैं। वे पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता रहे हैं और संगठन तथा निर्वाचित राजनीति, दोनों का गहरा अनुभव रखते हैं।
उनका राजनीतिक सफर इस प्रकार रहा है:

  • 2008: पिता स्व. विजय खंडेलवाल (तीन बार सांसद रहे) के निधन के बाद बैतूल से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।
  • 2013-2018: मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक रहे।
  • 2023: एक बार फिर बैतूल से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
  • पार्टी संगठन में वे जिला अध्यक्ष, प्रदेश कोषाध्यक्ष, और कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं।

उनकी छवि एक सुलझे हुए, संगठनप्रिय और साफ-सुथरी छवि वाले नेता की है।

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🔎 राजनीतिक संकेत: भाजपा की रणनीति क्या कहती है?

हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति के कई गहरे राजनीतिक अर्थ हैं:

  1. 🎯 2028 की तैयारी भाजपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अब संगठन में ऐसे नेताओं को जगह दी जा रही है जो लंबी रेस के घोड़े हैं।
    खंडेलवाल का चयन इस बात की पुष्टि करता है कि पार्टी 2028 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनाने में जुट गई है।
  2. ⚖️ संगठन में संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व खंडेलवाल का संबंध मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बैतूल जिले से है, जो विंध्य और महाकौशल के बीच एक अहम राजनीतिक भूगोल रखता है।
    पार्टी के लिए यह क्षेत्रीय संतुलन का भी संकेत है, जहां बुंदेलखंड से मुख्यमंत्री और अब महाकौशल क्षेत्र से अध्यक्ष की जोड़ी बनाई गई है।
  3. 🌐 केंद्रीय नेतृत्व की छाया इस नियुक्ति में केंद्रीय नेताओं की भूमिका भी अहम रही है। धर्मेंद्र प्रधान, सरोज पांडे और विवेक शेजवलकर जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से अनुशासित और नेतृत्व नियंत्रित बना दिया।

🧩 भविष्य की चुनौतियाँ: क्या होंगे खंडेलवाल के सामने प्रमुख मुद्दे?

हेमंत खंडेलवाल के सामने बतौर प्रदेशाध्यक्ष निम्न प्रमुख चुनौतियाँ रहेंगी:

  • संगठन को 2028 तक मजबूत करना और हर बूथ पर कार्यकर्ता की तैनाती सुनिश्चित करना
  • नई पीढ़ी को पार्टी से जोड़ना, खासकर शहरी और डिजिटल वर्ग को
  • सामाजिक संतुलन और दलित-आदिवासी वर्ग में पार्टी की पकड़ बनाए रखना
  • कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की क्षेत्रीय गतिविधियों पर कड़ी नजर रखना
  • सीएम और संगठन के बीच सामंजस्य को बनाए रखना

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