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सीसीए का विरोध प्रदर्शन करने पर जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर लाठीचार्ज, कई छात्र गंभीर

नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने आरोप लगाया है कि 16 दिसंबर को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में जबरन घुसकर उन पर लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने मंगलवार को यह भी दावा किया कि लाठीचार्ज में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो हुए हैं।

जामिया ने कक्षाएं निलंबित कर दीं और अपनी लाइब्रेरी और कैंटीन को बंद कर दिया है, क्योंकि एक छात्र संगठन ने 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों और परिसर में कथित पुलिस बर्बरता की सालगिरह को चिह्नित करने के लिए एक स्मरण कार्यक्रम की योजना बनाई थी। वामपंथी समर्थित अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसए) ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले का उद्देश्य छात्रों को कार्यक्रम में भाग लेने से रोकना था।

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एआईएसए ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले का उद्देश्य छात्रों को कार्यक्रम में भाग लेने से रोकना था। उन्होंने दावा किया कि परिसर से प्रवेश और निकासी द्वार प्रतिबंधित कर दिए गए थे, जो अंदर थे उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं थी और अन्य को प्रवेश करने से रोक दिया। जामिया ने रविवार देर रात तीन सर्कुलर जारी किए थे, जिसमें कहा गया था कि रखरखाव कार्य के कारण दोपहर 1 बजे से कक्षाएं, कैंटीन और लाइब्रेरी बंद रहेंगी।

एआईएसए ने एक बयान में जामिया प्रशासन और पुलिस की आलोचना की, जिसे उसने असहमति को दबाने के लिए सांठगांठ बताया। इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर को पूरी तरह से बंद कर दिया है और इलाके के आसपास किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए अंदर और बाहर पुलिस तैनात की है। एआईएसए ने कहा कि 15 दिसंबर 2019 को दिल्ली पुलिस ने हमारे दोस्तों को घायल कर दिया, हमारे परिसर में तोड़फोड़ की और हमारे साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया। आज, वे हमें उस भयावह दिन को याद करने से भी मना कर रहे हैं।

ऑनलाइन प्रसारित वीडियो में छात्रों को परिसर के बाहर पुलिस कर्मियों की भारी तैनाती का विरोध करने के लिए दिल्ली पुलिस वापस जाओ जैसे नारे लगाते हुए दिखाया गया। आरोपों पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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