Jabalpur: ठक्कर ग्राम उर्दू स्कूल में दम तोड़ रहा गरीब बच्चों का भविष्य

देश आजादी की 77 वीं वर्षगांठ मना रहा है। तब जबलपुर के मुस्लिम क्षेत्र में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है। जहां बच्चे उस अपेक्षा में पढ़ने को मजबूर है, जिस अपेक्षा में कोई अपने दुश्मन के बच्चों को भी नहीं छोड़ सकता।
स्कूल में सुविधाएं नहीं है। स्कूल परिसर को कचरा घर बना हुआ है। दिन में बच्चे मजदूरी करते हैं, तो रात में नौजवान यहां नशाखोरी करते नजर आ जाते हैं।
आज यह सवाल पूरे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के नेताओं से है कि आपकी आंख के नीचे सैंकड़ों गरीब बच्चों का मुस्तकबिल तिल तिल कर खराब हो रहा है आपके कानों में जूं तक नहीं रेंगती।
‘क्या हुआ तेरा वादा’ फिल्मी गीत की ये पंक्तिया आज ठक्करग्राम वार्ड के ऊर्दू स्कूल के संदर्भ मे बहुत उपयुक्त दिखाई पड़ रही है। क्योकी नेताओ ने अपने भाषणो मे, जनप्रतिनिधियो ने अपनी सभाओ मे इस को लेकर वादे तो अनेक किए लेकिन पूरा एक भी नही किया। यही वजह है की आज भी ऊर्दू स्कूल बुनियादी सुविधाओ के लिए तरस रहा है।

ऊर्दू स्कूल ठक्करग्राम व हडडी गोदाम इलाके के बीच मे मौजूद एक सरकारी स्कूल है। जिसमे इस इलाके के गरीब व मजदूर तबके के लोगो के बच्चे शिक्षा हासिल करने आते हैं। सरकारी स्कूल के नाम पर ऊर्दू स्कूल जैसे एक-दो सरकारी स्कूल मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र मे मौजूद है। पर उनके भी हालात शहर के अन्य ग्रामीण इलाको से भी ज्यादा खराब है। यही स्थिति ठक्करग्राम स्थित ऊर्दू स्कूल की भी है।
शिक्षा के नाम पर हो रहा घटिया मजाक
बच्चो को शिक्षा प्रदान करने के नाम पर जो घटिया मजाक किया जा रहा है उसे इस बात से भी समझा जा सकता है की 5 घंण्टे की स्कूल टाईमिंग मे बच्चे अधिकांश समय क्लास रुम के बाहर मैदान मे खेलते नजर आते है या फिर स्कूल के शिक्षक उन्हे किसी ने किसी काम मे लगा देते है। स्थिति इतनी खराब है की शायद ही कभी किसी बच्चे ने २ घंण्टे से ज्यादा क्लास रूम मे बिताए होंगे या किसी शिक्षक ने ईमानदारी के साथ सप्ताह मे ३ क्लासे भी ठीक तरह से ली होंगी।
स्कूल के गेट पर कचरे का जमावड़ा

जहां एक ओर इन बच्चो के भविष्य को अंधकार मे डाला जा रहा है तो वही दूसरी तरफ इनकी सेहत के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है। तस्वीर में दिख रहा है की स्कूल गेट के सामने ही कचरे का ढेर लगा हुआ है और ये बच्चे उसी कचरे के ढेर के ईदर्गिद खेलते है। जो की तरह तरह की बिमारियो का खुला न्यौता देने जैसा है।
वीडियो भी हो चुका वायरल लेकिन कोई असर नहीं
स्कूल की घटिया शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता हुआ एक वीडियो 2 वर्ष पूर्व वायरल भी हुआ था जिसमें दिख रहा है कि जिन बैंचो में बैठकर बच्चों को शिक्षा हासिल करनी चहिए वह उन्हीं बेंचो को क्लास रूम के बाहर मैदान में ला कर खेल रहे हैं और उनके शिक्षक भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे ।
शाम होते ही स्कूल बन जाता है नशेड़ियो का अडडा

जैसे ही स्कूल से बच्चे अपने घरो को पहुचते हैं। उसके कुछ ही देर के बाद स्कूल नशेड़ियो का अडडा बन जाता है जहां गंजेड़ी और शराबी जमकर नशा करते है और आए दिन नशा करने के बाद ये इलाके मे उत्पात भी मचाते है। जिससे की इलाके के लोगो को भी खासी परेशानियो का सामना करना पड़ता है। तो वही कई बार ये भी देखने मिलते है कि जब बच्चे सुबह स्कूल आते है तो गेट पर ही शराब की बोतल तो कभी गाांजे की पुडिया पड़ी रहती है। जब कम उम्र के बच्चे ये सब देखते है तो उनमे इसका गलत असर भी पड़ता है। तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि शाम होते ही कैसे यहां नशेड़ियों का जमावड़ा लगता है।
जर्जर भवनो और हादसो के साय मे पड़ने के लिए बच्चे मजबूर
उर्दू स्कूल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है आलम ये है की थोड़ी सी बरसात में ही बच्चो के क्लासरूम की छत से पानी टपकने लगता है। दिवारे इतनी पुरानी और कमजोर हो चुकी है की इनके गिरने का खतरा भी बना रहता है। कहा जा सकता है की बरसात के इस मौसम मे बच्चे हादसे के साय मे अपनी पढाई करने मजबूर है।
विधानसभा, नगर निगम हर चुनाव मे जमकर होते है वादे

चाहे विधानसभा का चुनाव हो या फिर नगरीय निकाय हर चुनाव मे ऊर्दू स्कूल को लेकर प्रत्येक पार्टी व उसके उम्मीदवार के तरफ से शाला विकास को लेकर वादे तो अनेक होते है कही कोई प्रत्याशी इसकी बांउड्री वाल को अपना चुनावी मुद्दा बनाता तो कही कोई प्रत्याशी इसे १२वी तक का इग्लिश मीडियम स्कूल बनाने का सपना दिखाता है पर हर चुनाव के बाद ऊर्दू स्कूल मे पड़ने वाले बच्चो के हिस्से मे सिर्फ वादे ही आए और नेताओ ने राजनितिक उद्देश्य पूरे हो जाने के बाद इस स्कूल की तरफ वापस मुड कर तक नही देखा और आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।