रादुविवि कुलगुरु का मामला विधानसभा में गूंजा, सरकार पर विपक्ष का तीखा वार

जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (रादुविवि) के कुलगुरु पर लगे गंभीर आरोपों का मामला अब प्रदेश सरकार तक पहुंच गया है। जहां एक ओर इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जारी है, वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग उनकी योग्यता की जांच कर रहा है। अब विधानसभा में भी यह मामला जोर-शोर से उठा, जहां विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
बुधवार को कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा और तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने कहा, “एक समय था जब रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति ने एक महिला आईपीएस अधिकारी से अभद्रता की थी और तत्कालीन सरकार ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। लेकिन आज, इसी विश्वविद्यालय के कुलगुरु पर दो गंभीर आरोप हैं, फिर भी सरकार मौन है।”
क्या हैं आरोप?
विधायक घनघोरिया ने विधानसभा में कुलगुरु पर लगे दो मुख्य आरोपों को उठाया—
- योग्यता को लेकर सवाल:
उच्च शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को प्राध्यापक बनने के लिए कम से कम 10 वर्ष का शिक्षण अनुभव आवश्यक होता है। लेकिन रादुविवि के कुलगुरु को उनकी पीएचडी पूरी होने के एक वर्ष से भी पहले प्राध्यापक बना दिया गया। यह नियमों का उल्लंघन है और इस पर विभाग जांच कर रहा है। - महिला कर्मी से अभद्रता का मामला:
विश्वविद्यालय के कुलगुरु पर एक महिला कर्मचारी से अभद्रता का आरोप लगा है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है। अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन को सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के निर्देश भी दिए हैं, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
सरकार की चुप्पी पर सवाल
विधायक घनघोरिया ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा के मंदिरों की गरिमा की बात आती है, तो प्रदेश सरकार चुप क्यों हो जाती है? उन्होंने कहा, “सरकार की यह चुप्पी दिखाती है कि उसे न तो शिक्षा की परवाह है और न ही महिलाओं की सुरक्षा की।”
क्या करेगी सरकार?
इस पूरे मामले को लेकर सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। हालांकि, उच्च शिक्षा विभाग ने कुलगुरु की नियुक्ति की प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी है, लेकिन महिला कर्मी से अभद्रता के मामले पर सरकार की चुप्पी विपक्ष को और आक्रामक बना रही है।
इस मुद्दे के चलते अब प्रदेश की राजनीति गरमा गई है और आने वाले दिनों में इस पर और विवाद बढ़ सकता है। विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार ने जल्द कोई निर्णय नहीं लिया तो वे इस मामले को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ सकते हैं।