
मशहूर सूफी बुजुर्ग हाजी सुब्हानल्लाह शाह बाबा रहमतुल्ला अलैहा का 88 वां साला उर्स शान ओ अजमत के साथ टैगोर वार्ड स्थित सुब्बाह शाह मैदान में मुनक्किद किया गया.
उर्स में यूपी, बिहार, महाराष्ट्र समेत जबलपुर और अतराफ के हजारों की तादाद में जायरीन उपस्थित हुये. उर्फ के सभी प्रोग्राम आस्ताना ए सुब्हानिया के सज्जादानशीन मो बदरुद्दीन गुड्डू बाबा की सरपरस्ती में हुये.
उर्स की पूरी रिपोर्ट देखें…
निजामत के फराईज नईम शाह और मुख्तार नादिर ने अदा किये. उर्स के कामयाब इनइकाद में जुन्नून नक्शबंदी, असलम बाबा, हाजी गुलाम मुस्तफा, आजम खान, रिजवान अंसारी, समरीन कुरैशी, मो मतीन, कलीम खान, गुलाम हुसैन, अख्तर अंसारी, रफीक पहलवान, मो ताज इकबाल, मो फजल, मो जमील, बब्लू लीडर मो अलताफ आदि का विशेष योगदान रहा.

दरगाह कमेटी के सचिव कलीम खान साहब ने बताया उर्स के पहले दिन बाद 11 अप्रैल को नमाज ए जुमा के बाद चॉंदनी चौक सें संदल शरीफ का जुलूस निकला जो मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र से होता हुआ मंडी मदार टेकरी कब्रस्तान, पचकुईंया होते हुए दरगाह शरीफ पहुंचा । जहां चादर व गुलपोशी की रस्म अदा की गई वही इसके बाद अब रात में 10 बजें से महफिले सिमां का अगाज हुआ, जिसमें मुकामी कव्वाल नें अपने सूफियाना कलाम पेंश किए।
दो रोजा उर्स के दूसरे दिन प्रोग्राम का आगाज में चादर जुलूस से हुआ. दोपहर 3 बजें बमुकाम चॉंदनी चौक से शुरु होकर अपने परंपरागत रुट हनुमानताल, मिलौनीगंज, मछली मार्के, नालबंद मोहल्ले, चार खंम्बा, बहोराबाग, ठक्करग्राम से होते हुए जुलूस मजारे अक्दस पर पहुचां जिसके बाद चादर पेश कर गुलपोशी की रस्म अदा की गई।

रात में महफिले समा का आगाज हुआ। जिसमें इस बार हिन्दुस्तान के मशहूर कव्वाल शब्बीर सदाकत साबरी (चित्तोगढ़ राजस्थान) अपने सूफियाना कलाम पेश कर महफिलें समा बांधा। कव्वाली का यह प्रोग्राम देर रात तक चला.

जिसके बाद 13 अप्रैल की सुबह बाद नमाज ए फजर कुल शरीफ के बाद तकसीमें लंगर के साथ उर्स का समापन किया गया।
उर्स के इस मौके पर दरगाह प्रबंधन ने हजारों की तादाद में आए अकीदंतमंदों व कार्यक्रम के सफल समापन में सहयोग हेतु जिला प्रशासन का शुक्रिया अदा किया।
