(जबलपुर) बिजली विभाग की लापरवाही से गई मजदूर की जान, सड़क पर शव रखकर परिजनों का प्रदर्शन

जबलपुर, 15 जून 2025। माढोताल क्षेत्र में बिजली विभाग की घोर लापरवाही ने एक गरीब मजदूर की जान ले ली। शनिवार शाम आई तेज हवाओं की वजह से बिजली का एक हाई वोल्टेज तार टूटकर ज़मीन पर गिर गया था, जिसकी सूचना समय रहते विभाग को दी गई थी, लेकिन विभागीय अमले की निष्क्रियता के कारण तार को न तो हटाया गया और न ही बिजली सप्लाई बंद की गई। इसका खामियाजा एक 25 वर्षीय मजदूर को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।
मौत की वजह बनी प्रशासनिक सुस्ती
रविवार सुबह कटंगी निवासी सौरभ ठाकुर (25 वर्ष), जो दिहाड़ी मजदूरी करता था, काम पर जाते वक्त रिक्शा फार्म के पास सड़क किनारे गिरा तार नजर नहीं देख पाया और अनजाने में उसके संपर्क में आ गया। करंट इतना तेज था कि सौरभ की मौके पर ही मौत हो गई। वह बुरी तरह झुलस गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और बिजली विभाग को सूचना दी।
लोगों ने किया सड़क पर प्रदर्शन
हादसे के बाद क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। मृतक सौरभ के शव को गुस्साए परिजन और स्थानीय लोगों ने सड़क पर रखकर रास्ता जाम कर दिया। उन्होंने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। लोगों का कहना था कि अगर विभाग समय पर कार्रवाई करता, तो यह हादसा टल सकता था।
पुलिस और प्रशासन को देना पड़ा दखल
माढोताल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को शांत करने का प्रयास किया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भिजवाया और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की। हालांकि लोगों ने साफ कहा कि वे तब तक प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे, जब तक उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलता कि मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा मिलेगा और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
प्रशासन से मुआवजा और नौकरी की मांग
घटना के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन से मृतक के परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। साथ ही, जिन बिजली अधिकारियों की लापरवाही से यह हादसा हुआ, उन्हें तत्काल निलंबित कर आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की जा रही है।
बिजली विभाग पर गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों का दावा है कि शनिवार शाम करीब 5:30 बजे ही तार टूटकर गिरा था और उन्होंने तत्काल बिजली विभाग को इसकी सूचना दे दी थी। इसके बावजूद रातभर कोई कर्मचारी मौके पर नहीं आया। सुबह तक तार में करंट चालू था, जिससे यह दुखद घटना हुई। लोगों का कहना है कि यह सीधा प्रशासनिक अपराध है, जिसे किसी भी कीमत पर नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
जांच के आदेश संभव, लेकिन सवाल अब भी बाकी
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन और बिजली विभाग द्वारा आंतरिक जांच के आदेश दिए जा सकते हैं, लेकिन यह साफ है कि यह हादसा किसी प्राकृतिक कारण से नहीं, बल्कि एक लंबे समय से चल रही व्यवस्थागत लापरवाही का परिणाम है।
सवाल यह है कि क्या अब भी दोषियों को सज़ा मिलेगी या एक और मजदूर की जान यूं ही फाइलों में दफन कर दी जाएगी?