
जबलपुर। कांग्रेस के पूर्व पार्षद शाबान मंसूरी को बुधवार को अदालत से जमानत मिल गई। पूर्व पार्षद शाबान की ओर से अधिवक्ता सम्पूर्ण तिवारी,मोहम्मद सादिक खान कादरी और शबाब खान ने पैरवी की। अपर सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार यादव की अदालत ने 25000 रुपए की प्रतिभूति पर रिहा करने का पारित आदेश किया है।
मंसूरी को बीते शुक्रवार को फेसबुक पर विवादित टिप्पणी के मामले में घमापुर पुलिस ने हिरासत में लिया था और बाद में कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया था।
गौरतलब है कि कोर्ट में पेशी के दौरान मंसूरी के साथ मारपीट की घटना भी हुई थी। परिजनों का आरोप था की, करीब 30-35 लोगों ने जो पहले से ही परिसर में मौजूद थे और उन्होंने मंसूरी को देखते ही हाथापाई शुरू कर दी। पुलिस ने हस्तक्षेप कर किसी तरह उन्हें बचाया और जेल भेजा था।
मामले की शुरुआत तब हुई जब भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर की फेसबुक पोस्ट पर शाबान मंसूरी ने टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को लेकर बुधवार शाम भाजपा नेता ठाकुर और मंगन सिद्दीकी सहित 8-10 कार्यकर्ता घमापुर थाने पहुंचे और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने स्क्रीनशॉट को सबूत मानते हुए बीएनएस की धारा 196, 197 और 299 के तहत मामला दर्ज किया।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मामला राजनीतिक दबाव का नतीजा है। उनका आरोप है कि पुलिस ने शाबान की बात सुने बिना ही एफआईआर दर्ज कर दी।
हालांकि, अब जमानत मिलने से शाबान मंसूरी को बड़ी राहत मिली है। मंसूरी लंबे समय से राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। पूरी तरह से अपाहिज होने के बावजूद वे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए लगातार जाने जाते हैं। राजनीतिक जीवन में अब तक उनकी छवि साम्प्रदायिक सौहार्द और हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर नेता की रही है।