17 जून को ‘मध्यप्रदेश’ में मनाया जाएगा ‘फिलिस्तीन एकजुटता दिवस’ : वामपंथी दलों ने की नेतन्याहू सरकार की तीखी निंदा

भोपाल (बाज मीडिया)। इजरायल द्वारा गाजा पट्टी में लगातार किए जा रहे हमलों और फिलिस्तीनी नागरिकों की हो रही व्यापक हत्याओं के विरोध में वामपंथी दलों ने 17 जून को ‘फिलिस्तीन एकजुटता दिवस’ मनाने का ऐलान किया है। यह आह्वान राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी दलों द्वारा किया गया है, जिसके तहत मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
वामपंथी दल 17 जून को पूरे मध्यप्रदेश में प्रदर्शन, रैलियों और सभाओं के माध्यम से इस मसले पर जनता को जागरूक करेंगे। उनका कहना है कि यह केवल एक विरोध नहीं, बल्कि एकजुटता की आवाज है उन निर्दोषों के लिए जो बर्बरता का शिकार हो रहे हैं।
इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं:
- जसविंदर सिंह – राज्य सचिव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
- अरविंद श्रीवास्तव – राज्य सचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
- देवेंद्र सिंह चौहान – वरिष्ठ नेता, भाकपा (माले)
वामपंथी दलों ने आम नागरिकों, सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे 17 जून को ‘फिलिस्तीन एकजुटता दिवस’ में बढ़-चढ़कर भाग लें और दुनिया को दिखाएं कि इंसानियत अब भी जिंदा है।
55 हजार से ज्यादा मौतें, 61% महिलाएं और बच्चे
वामपंथी नेताओं ने बताया कि पिछले दो वर्षों में गाजा पर इजरायल द्वारा किए गए सैन्य हमलों में 55,000 से अधिक निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 61 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं। नेतन्याहू सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह जानबूझकर स्कूलों, अस्पतालों और रिहायशी इलाकों को निशाना बना रही है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का खुला उल्लंघन है।
सहायता सामग्री भी रोकी जा रही
वामपंथी दलों का कहना है कि इजरायल न केवल बमबारी कर रहा है, बल्कि दुनिया भर से गाजा के लिए भेजी जा रही राहत सामग्री और खाद्यान्न की आपूर्ति को भी रोक रहा है। हाल ही में एक मानवीय सहायता लेकर जा रहे जहाज को जबरन रोका गया, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों और संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशों की सीधी अवहेलना है।
भारत सरकार से रुख स्पष्ट करने की मांग
वामपंथी दलों ने भारत सरकार से मांग की है कि वह अपने पुराने परंपरागत रुख पर लौटे और फिलिस्तीन के समर्थन में स्पष्ट रूप से खड़ी हो। उन्होंने कहा कि भारत का हमेशा से फिलिस्तीन के साथ ऐतिहासिक और नैतिक संबंध रहा है, जिसे वर्तमान सरकार ने नजरअंदाज किया है।