जबलपुर : महिला अधिकारी के आरोपों की जांच शुरू, जांच कमेटी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कुलपति को तलब किया

जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) के कुलगुरू प्रो. राजेश वर्मा पर एक महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए आज एक विशेष कमेटी ने कुलगुरू को तलब किया। महिला अधिकारी ने 21 नवंबर 2024 को आयोजित एक बैठक के दौरान प्रो. वर्मा पर अशोभनीय टिप्पणी करने और अभद्र इशारे करने का आरोप लगाया था।
यह मामला उस समय और गहरा हो गया जब आरडीयू की आंतरिक महिला हिंसा और यौन उत्पीड़न कमेटी ने इस मामले की जांच से इनकार कर दिया। इसके बाद, एमपी हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच कमेटी गठित की और तत्काल जांच के निर्देश दिए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद, अधिवक्ता सरोज तिवारी की अध्यक्षता में एक पाँच सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया।
जांच कमेटी के सदस्य में शामिल हैं:
- कांता देशमुख, परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास
- रीना वासनिक, सामाजिक कार्यकर्ता
- अंशुमन शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता
- एम. एल. मेहरा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास
इस कमेटी ने घटनाक्रम से जुड़े विभिन्न पक्षों के बयान दर्ज किए हैं और आज कुलगुरू प्रो. वर्मा को भी तलब किया गया है ताकि वह अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकें।
महिला अधिकारी का आरोप और प्रतिक्रिया
महिला अधिकारी ने 22 नवंबर 2024 को राज्य महिला आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, आरडीयू के कुलसचिव और राजभवन को पत्र भेजकर कुलगुरू पर लगाए गए आरोपों की जांच की मांग की थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि कुलगुरू ने बैठक के दौरान अभद्र इशारे किए और अशोभनीय टिप्पणी की, जिससे वह बेहद आहत हुईं। इसके बाद, महिला अधिकारी ने आरडीयू कुलसचिव को आवेदन देकर 21 नवंबर की बैठक के सीसीटीवी फुटेज की मांग की, ताकि आरोपों के सत्यापन में मदद मिल सके।
हालांकि, महिला अधिकारी को सीसीटीवी फुटेज मुहैया नहीं कराए गए, जिसके बाद उन्होंने एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने मांग की कि सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित किया जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
हाईकोर्ट का आदेश और प्रशासन की जिम्मेदारी
एमपी हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। इसके अलावा, हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जांच जल्द से जल्द पूरी की जाए और मामले की प्रगति पर निगरानी रखी जाए।
महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जांच कमेटी ने अब तक विभिन्न पक्षों के बयान दर्ज किए हैं और कुलगुरू प्रो. राजेश वर्मा को भी अपना पक्ष रखने के लिए आज तलब किया है। यह मामला विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य महिला आयोग के लिए एक अहम चुनौती बन चुका है, क्योंकि आरोपों की गंभीरता और साक्ष्य के आधार पर आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच के परिणाम पर सभी की नजरें टिकी हैं, और जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय की उम्मीद की जा रही है।