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हिमाचल प्रदेश में नफरत की राजनीति: कांग्रेस की विफलता और सांप्रदायिक तनाव का बढ़ता ज्वार

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के राज में नफरत की राजनीति का बढ़ना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘प्यार की दुकान’ का नारा दिया है, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य में नफरत का ज्वार बढ़ रहा है, खासकर मुस्लिमों के खिलाफ हिंदू संगठनों की गतिविधियां तेजी से बढ़ गई हैं।

हाल ही में संजौली मस्जिद का विवाद चर्चा का विषय बना है, जिसने कांग्रेस सरकार की आलोचना की लहरें खड़ी कर दी हैं। इस मुद्दे को गंभीरता से न लेने के कारण स्थानीय मुसलमानों में असुरक्षा और भय का माहौल बन गया है। यह बातें APCR की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गयीं।

“एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स” (APCR) की एक हालिया रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश में कानून के शासन की विफलता और प्रशासन की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है।

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इस रिपोर्ट में शिमला, संजोली, मंडी, सोलन, कुल्लू और पालमपुर जैसे क्षेत्रों में सांप्रदायिक घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। ये घटनाएं राज्य में सामाजिक सौहार्द के लिए बड़ा खतरा बनी हुई हैं।

Press Conference में मानवाधिकार वकील, पूर्व नौकरशाह, पत्रकार और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और संजय हेगड़े ने समस्या की गंभीरता पर प्रकाश डाला। भूषण ने कहा कि “सांप्रदायिकता एक गंभीर सामाजिक बीमारी है” और यह न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस पर भी प्रभाव डालती है।

सृष्टि जसवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हिमाचल में लोग इतने डरे हुए हैं कि एक भी महिला अपनी बात रखने को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि संजौली में मस्जिद तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो एक खतरनाक संकेत है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अगर इस स्थिति पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो सांप्रदायिक तनाव और बढ़ सकता है। सैयदा हमीद ने मुसलमानों के पिछड़ेपन और उनके अधिकारों के हनन पर बात करते हुए कहा कि हमें अपनी जागरूकता फिर से हासिल करनी होगी।

यह स्थिति न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए खतरे का संकेत है, जहां प्रेम और भाईचारे के नारे हकीकत से उलट हैं। कांग्रेस को अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि वह नफरत की इस राजनीति का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके।

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