हडडी गोदाम इलाके में बनकर तैयार संजीवनी क्लीनिक अभी तक नही हुआ चालू, स्थानीयजन बोले-हमारी बेहतरी के लिए बना अस्पताल अब हमारे ही लिए परेशानी बन गया……

अब हमें सर्दी जुखाम बुखार जैसी छोटी छोटी बिमारियों के इलाज के लिए विक्टोरिया नही जाना होगा। अब हमें अपने घर की प्रेग्नेंट महिलाओ को इमरजेंसी में एल्गिन या मोतीनाला लेकर नही भांगना होगा । अब हमारे बच्चो के बीमार होने पर हमें महंगी महंगी दवाईया नही लेनी होगी क्योकी अब ये सब हमारे ही मोहल्ले की संजीवनी क्लीनिक में हो सकेगा।
यह ख्वाब ठक्करग्राम वार्ड अन्तर्गत हडडी गोदाम इलाके के लोंगो ने तब देखे थे जब वर्ष 2018-19 में कमलनाथ सरकार में तात्कालिक मत्री व पूर्व क्षेत्र के विधायक लखन घनघोरिया ने हडडी गोदाम मैदान के पास स्थित बंद पड़े शासकीय शौचालय के स्थान पर मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक बनवांए जाने की घोषणा की थी। और बाद में घोषणा के कुछ ही समय के बाद भूमिपूजन कर काम शुरु करने का ऐलान किया गया था। तब यहां के लोगो के मन में बहुत खुशी थी की अब उनके घर के बगल से ही उनके अपने मोहल्ले में ही उन्हे बेहतर व फ्री स्वास्थ्य सेवांए आसानी के साथ मुहैया हो सकेंगी।
लेकिन उनकी इन उम्मीदो को उस वक्त थोड़ा धक्का लगा जब भूमिपूजन करने वाले मंत्री खुद मंत्री नही रहे और उनकी सरकार महज 15 महीनों में ही गिर गई। तब लोगो के मन अस्पताल निमार्ण को लेकर संशय की स्थिति जरुर बनी लेकिन सरकार बदलने के बाद भी अस्पाताल का काम चलता रहा ये अलग बात थी जोरो शोरो से शुरु हुआ निमार्ण कार्य बाद में कछुए के चाल से हुआ। पर कुछ ही महीनों के बाद आखिरकार लोगों के सामने उनकी उम्मीदों का अस्पताल बनकर तैयार था।
लेकिन जो लोग अस्पताल बनने के बाद इलाके की बेहतरी के ख्वाब देख रहे ये तब थक हार कर बैठ गए जब लोगों के लाख कहने के बाद भी इलाके के लिए तैयार खड़ा अस्पताल 2 साल बाद तक भी चालू न हो सका और सबसे बड़ी दिक्कत तो तब खड़ी हुई जब बेहतरी के लिए बना अस्पाताल इलाके के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बन गया। आप भी यह सुनकर सोच रहे होगें की आखिर ऐसा क्या हुआ की जिस अस्पाताल को लोगों ने अपने इलाके के लिए बेहतरी जाना वो उनके ही इलाके के लिए दुस्वारी बन गया तो आईये आपको बतातें है वो सारी वजह जिसने इस अस्पताल को दुस्वारी बना दिया..
अस्पताल कें बंद होने के वजह से लोगों ने बना लिया अवैध पार्किंग अडडा…

अस्पताल चालू न होने से लोगों के मन में निराशा तो थी ही पर यह निराशा तब गुस्से में बदल गई जब अस्पताल के सामने ही चार पहिया लोडिंग वाहनो के मालिक व ड्राइवरों नेे इसे पार्किंग का अडडा बना लिया। हालत ये हो गई की अस्पताल के मुख्य द्वार के ही सामने लोगों ने पूरे पूरे दिन के लिए वाहन खड़े करने शुरु कर दिए जिसके बाद देखते ही देखते उस पूरी गली में वाहन खड़े होने लगे जिसके चलते 15-20 फिट की रोड महज 7-8 फिट की ही बची जिससे की यहां रोजाना जाम की स्थिति बन रही तो वही लोगो को अपने ही घर से आने जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जहां होना था बिमारियों का इलाज वही से फैल रही बिमारियॉं….अस्पताल बन गया कचरा प्वांईट….

इस अस्पताल के चालू न होने से तब एक और नई परेशानी खड़ी हो गई जब बंद पड़े इस अस्पताल के ही सामने लोगों ने कचराघर बना डाला। दरअसल जो लोंग कचरे वाली गाड़ी में सुबह कचरा नही डाल पातें ऐसें सभी लोगों को अपने घरो का कचरा फेकने दूर जाना होता है ऐसे में घरो की औरतें व बच्चे अस्पाताल के बंद होने की वजह से यही कचरा फेंक चले जाते है। जिससे की यह अस्पताल अब मोहल्ले का नया कचरा प्वाईट बन चुका है। जिसके बाद से यहां कचरे का जमावड़ा हो जाता है जिससे तरह तरह की बिमारियों के फैलने का अंदेशा रहा आता है।:
आवारा कुत्तो ने बना लिया अपना आशियाना….

अस्पताल के बनने से मोहल्ले के लोगो को क्या फायदा हुआ ये पता लगाना मुश्किल है पर इसका सबसे ज्यादा फायदा इलाके के आवारा कुत्तो को हुआ जहां उन्होने बंद अस्पताल को अपना आशियाना बना लिया। जहां अब इनका ही राज चलता है यह जब चाहे रोड पर आकर गाड़ी चालको की ओर लपके जब चाहे बच्चो औरतो को भौंकनें लगें। हालत ये हो चलें है की कोई जरुरी काम होने पर भी लोंग इन कुत्तो के खौफ से अपने घर के बच्चो को अकेले अस्पताल के पास भी नही भेज रहें।
नशेड़ियो ने बना लिया अपना ठिकाना.…
इस बंद अस्पताल से सबसे बड़ी परेशानी ने तब जन्म लिया जब इस अस्पताल पर नशेड़ियो की नजरें पड़ गई। दारु से लेकर गांजा का नशा करने वाले नशेड़ियो ने अस्पताल के मुख्य द्वार को ही अपना ठिकाना बना लिया जिसके बाद शाम होते ही यहां जमकर जाम झलकते है तो वही गांजे की महक दूर तक जाती है। कई बार तो यह नशेड़ी नशें मे जमकर उत्पात भी मचातें है। आलम ये है की रात होने पर औरतें अकेलें अस्पताल के सामने से होकर गुजरने से कतराती है।
जब शास्त्री वार्ड का क्लीनिक चालू तो हमारे साथ अन्याय क्यों...

अस्पताल को चालू कराने को लेकर इलाके के लोग कई बार प्रयास भी करते देखे गए। लोंगो ने जनप्रतिनिधियों से भी इसें चालू करवाने का आग्रह किया परंतु इसका कोई खासा परिणाम नही मिला जनप्रतिनिधि भी इसकी जिम्मेदारी दूसरों पर डालकर मामला से पल्ला झाड़ते रहे पर इस पूरे मामलें में स्थानीय लोगो का गुस्सा उस वक्त फुट गया जब। उनके ठक्करग्राम वार्ड के बगल से लगे हुए शास्त्री वार्ड की संजीवनी क्लीनिक का शुभारंभ स्थानीय पार्षद के हाथो हो गया। जबकि शास्त्री वार्ड की क्लीनिक का निमार्ण कार्य ठक्करग्राम वार्ड की संजीवनी क्लीनिक के बन जाने के बाद शुरु हुआ था। और आज वो क्लीनिक बनकर तैयार है और चल भी रही है जिसका फायदा उस वार्ड के रहवासियो को मिल रहा है पर ठक्करग्राम वार्ड में लोंग अभी तक क्लीनिक चालू होने का इंतजार की कर रहे है।
कहां जा सकता है लोगो की उम्मीदें अब दम तोड़ रही है फिर भी कुछ ऐसें लोंग है जो उम्मीद जता रहे है की कभी न कभी तो वो दिन आयेंगा जब वो इस क्लीनिक को चालू होता देखेंगे।
वही अस्पताल के बन जाने के बाद जिन परेशानियो ने जन्म ले लिया है उसकी वजह से कई लोगो को यह कहते भी सुना जा रहा है की इससे तो बेहतर था की यह अस्पताल बनता ही नही क्योकी अस्पताल तो बनकर तैयार हो गया पर उसका फायदा लोंगो का मिल नही पा रहा उल्टा उससे तरह तरह की समस्याओं ने जन्म ले लिया है जो इलाके के लोगो के लिए परेशानी का सबब बन रही है।