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इजरायली हमले का खौफनाक मंजर: गाजा में पत्रकार और पैरामेडिक्स शहीद, सच को दबाने की साजिश !

गाजा शहर, 11 जून 2025 – गाजा शहर में इजरायली फौज के हवाई हमले ने फिलिस्तीनी पत्रकार मोआमेन अबु अलौफ और तीन पैरामेडिक्स की जान ले ली। ये लोग घायलों को बचाने की कोशिश में जुटे थे, और अबु अलौफ इस इंसानी जज्बे को अपनी रिपोर्टिंग के जरिए दुनिया तक पहुंचा रहे थे। गाजा के मीडिया ऑफिस के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इजरायली हमलों में अब तक 227 पत्रकार शहीद हो चुके हैं।

हमला उस वक्त हुआ जब अबु अलौफ एम्बुलेंस टीम के साथ थे, जो गाजा के दिल में जख्मी लोगों की मदद कर रही थी। इससे पहले अबु अलौफ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पैरामेडिक हुसैन मुहायसिन ने अल-दराज इलाके में एक स्कूल पर इजरायली बमबारी के बाद आग से एक बच्चे को बचाया था। उस स्कूल में बेघर परिवार पनाह लिए हुए थे। अफसोस, अब हुसैन और अबु अलौफ दोनों इस जंग में अपनी जान गंवा चुके हैं।

गाजा: पत्रकारों के लिए कब्रिस्तान

फिलिस्तीनी पत्रकार सिंडिकेट के लीडर ने पिछले हफ्ते कहा, “गाजा में पत्रकारों का सबसे बड़ा कत्लेआम हो रहा है।” गाजा के मीडिया ऑफिस ने इस हमले की सख्त निंदा की और इजरायली फौज पर इल्जाम लगाया कि वो जानबूझकर पत्रकारों को निशाना बना रही है ताकि फिलिस्तीनी आवाज को दबाया जाए और हकीकत को छुपाया जाए। ऑफिस ने इजरायल, अमेरिका, और ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे मुल्कों को इस “खौफनाक जुर्म” और “नरसंहार” का जिम्मेदार ठहराया।

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की 2025 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स रिपोर्ट कहती है कि इजरायली फौज ने जंग के पहले 18 महीनों में गाजा में करीब 200 पत्रकारों और मीडिया वर्कर्स को मार डाला, जिनमें 42 अपनी ड्यूटी निभाते वक्त शहीद हुए। RSF ने फिलिस्तीन को “पत्रकारों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क” बताया। गाजा में पत्रकार बिना पनाह, खाना, या पानी के फंसे हैं। वेस्ट बैंक में भी पत्रकारों को इजरायली फौज और वहां के बाशिंदों से तंग किया जाता है। 7 अक्टूबर 2023 के बाद से गिरफ्तारियों की लहर और बेगुनाहों पर हमले आम हो गए हैं।

वाटसन इंस्टीट्यूट की ताजा रिपोर्ट कहती है कि गाजा में इजरायल की जंग पिछले 30 सालों में पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक साबित हुई है। ये जंग अमेरिकी गृहयुद्ध, दोनों विश्व युद्ध, कोरियाई जंग, वियतनाम जंग, यूगोस्लाविया की लड़ाइयों, और 9/11 के बाद अफगानिस्तान जंग में मारे गए पत्रकारों की कुल तादाद से भी ज्यादा जानें ले चुकी है। 2023 में हर चार दिन में एक पत्रकार मारा गया, और 2024 में ये सिलसिला हर तीन दिन में एक की रफ्तार से और बुरा हो गया। गाजा में मरने वाले ज्यादातर पत्रकार लोकल हैं, जो अपनी जमीन की हकीकत बयान कर रहे थे।

दुनिया भर से निंदा, इंसाफ की मांग

सेंटर फॉर प्रोटेक्टिंग फिलिस्तीनी जर्नलिस्ट्स (PJPS) ने कहा कि पत्रकारों की हत्या इजरायली कब्जे के तहत मानवाधिकारों के हनन का हिस्सा है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) की चीफ जोडी गिन्सबर्ग ने गाजा की जंग को “पत्रकारों पर अभूतपूर्व हमला” करार दिया, जो दुनिया भर में जंगी इलाकों में पत्रकारों की हिफाजत के नियमों को तोड़ रहा है। CPJ ने इजरायल पर इल्जाम लगाया कि वो इन हत्याओं की तहकीकात रोक रहा है, शहीद पत्रकारों को ही कसूरवार ठहरा रहा है, और अपनी फौज को जवाबदेह बनाने में नाकाम है।

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) ने 2024 को “मीडिया वालों के लिए सबसे बुरा साल” बताया और फिलिस्तीन में हो रहे “कत्लेआम” की निंदा की, जो “पूरी दुनिया की आंखों के सामने” हो रहा है। गाजा के मीडिया ऑफिस ने कहा कि इजरायल की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं, और फिलिस्तीनी कौम का हौसला अब भी बुलंद है।

हकीकत को दबाने की साजिश

मोआमेन अबु अलौफ जैसे पत्रकारों को निशाना बनाना दिखाता है कि गाजा में सच बताने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। जैसे-जैसे शहीदों की तादाद बढ़ रही है, दुनिया भर के संगठन इंसाफ और इन हत्याओं पर लगाम की मांग कर रहे हैं। अबु अलौफ और ना-जाने कितने और लोगों की शहादत इस जंग की इंसानी कीमत को बयान करती है। हमें उन बहादुरों की हिफाजत करनी होगी, जो हकीकत दिखाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।

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